शब्द का अर्थ
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					ताप					 :
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					पुं० [सं०√तप् (तपना)+घञ्] १. एक प्रसिद्ध ऊर्जा या शक्ति जो अग्नि, घर्षण अथवा कुछ रासायनिक क्रियाओं के द्वारा उत्पन्न होती है और जिसके प्रभाव से चीजे गलती, जलती, पिघलती, फैलती अथवा भाप बनकर हवा में उड़ने लगती है। (हीट)। २. गरमी। तपिश। ३. आँच। आग। ४. ज्वर। बुखार। ५. कोई ऐसा मानसिक या शारीरिक कष्ट जिससे प्राणी दुःखी होता है। विशेष–हमारे यहाँ धार्मिक क्षेत्रों में ताप तीन प्रकार के कहे गये है। आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक। (देखें ये तीनों शब्द)।				 | 
			
			
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					ताप-क्रम					 :
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					पुं० [ष० त०] किसी विसिष्ट स्थान या पदार्थ का वह ताप जो विशेष अवस्थाओं में घटता-बढता रहता है।				 | 
			
			
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					ताप-क्रम					 :
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					पुं० [ष० त०] भारतीय धार्मिक क्षेत्रों में आध्यात्मिक आधिदैविक और आधिभौतिक ये तीनों ताप।				 | 
			
			
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					ताप-क्रम-यंत्र					 :
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					पुं० [ष० त०] वह यंत्र जिससे किसी स्थान या पदार्थ के तापक्रम के घटने या बढ़ने का पता चलता है। (बैरोमीटर)।				 | 
			
			
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					ताप-चालक					 :
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					पुं० [ष० त०] ऐसा पदार्थ जिसमें ताप एक सिरे से चलकर दूसरे सिरे कर पहुँच जाय।				 | 
			
			
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					ताप-तरंग					 :
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					स्त्री० [ष० त०] वातावरण की वह विशिष्ट स्थिति जिसमें कुछ समय के लिए हवा बहुत गरम और तेज हो जाती है और गरमी बहुत बढ़ जाती है। (हीट वेव)।				 | 
			
			
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					ताप-दुखः					 :
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					पुं० [मध्य० स०] पातंजल दर्शन के अनुसार एक तरह का दुःख।				 | 
			
			
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					ताप-मान					 :
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					पुं० [ष० त०] शरीर अथवा किसी पदार्थ में की अधिक या कम गरमी को कोई विशिष्ट स्थिति जो कुछ विशेष प्रकार के उपकरणों से जानी जाती है। (टेम्परेचर।				 | 
			
			
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					ताप-मापक-यंत्र					 :
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					पुं० [सं० ताप-मापक, ष० त०, तापमापक-यंत्र कर्म० स०] वह यंत्र या उपकरण जिससे शरीर, पदार्थ, वातावरण आदि का ताप मान जाना जाता है। (थरमामीटर)।				 | 
			
			
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					ताप-व्यंजन					 :
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					पुं० [मध्य० स०] साधु के वेश में रहनेवाला गुप्तचर।				 | 
			
			
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					ताप-स्वेद					 :
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					पुं० [तृ० त०] वैद्यक में उष्णता पहुँचाकर उत्पन्न किया हुआ पसीना। जैसे–गरम बालू या गरम कपड़े से सेंककर लाया जानेवाला पसीना।				 | 
			
			
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					तापक					 :
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					वि० [सं०√तप्+णिच्+ण्वुल्-अक] १. ताप या गर्मी उत्पन्न करनेवाला। २. ताप या कष्ट देनेवाला। पुं० १. रजोगुण २. ज्वर। ताप। बुखार। ३. एक वैद्युतिक उपकरण जो चीजों या वातावरण को गरम करता है। (हीटर)।				 | 
			
			
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					तापकी					 :
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					वि० [सं० तापक] ताप उत्पन्न करनेवाला। उदाहरण–-तापकी तरनि मानौ मरनि करत है।–सेनापति।				 | 
			
			
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					तापचालकता					 :
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					स्त्री० [सं० तापचालक+तल्–टाप्] वस्तुओं का वह गुण जिससे वे ताप-चालक होती हैं।				 | 
			
			
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					तापतिल्ली					 :
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					स्त्री० [हिं० ताप+तिल्ली] एक रोग जिसमें पेट के अन्दर की तिल्ली या प्लीहा में सूजन होती है और इसीलिए वह कुछ बड़ी हो जाती है तथा ज्वर उत्पन्न करती है।				 | 
			
			
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					तापती					 :
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					स्त्री० [सं०] १. सूर्य की एक कन्या का नाम। २. ताप्ती नदी जो सतपुड़ा पर्वत से निकलकर खंभात की खाड़ी में गिरती है।				 | 
			
			
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					तापत्य					 :
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					वि० [सं० तपती+ष्यञ्] तापती संबंधी। पुं०–अर्जुन।				 | 
			
			
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					तापन					 :
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					वि० [सं०√तप् (तपना)+णिच्+ल्यु–अन] १. ताप या गरमी देनेवाला। २. ताप या कष्ट देनेवाला। पुं० १. तप्त करने या तपाने की क्रिया या भाव। २. सूर्य। ३. सूर्यकांत मणि। ४. कामदेव के पाँच वर्णों में से एक जो विरही प्रेमी को ताप या कष्ट पहुँचाता है। ५. एक नरक का नाम। ६. एक प्रकार का तांत्रिक प्रयोग जो शत्रु को ताप या कष्ट पहुँचाने के लिए किया जाता है। ७. आक का पौधा। मदार। ८. ढोल।				 | 
			
			
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					तापना					 :
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					अ० [सं० तापन] १. अधिक सरदी लगने पर आग जलाकर उसके ताप से अपना शरीर या कोई अंग गरम करना। २. तपस्या आदि के प्रसंग में, ताप सहने के लिए आग जलाकर उसके पास या सामने बैठना। जैसे–धूनी तापना, पंचग्नि तापना। स० १. आग पर रखकर गरम करना करना या तपाना। २. जलाना। ३. बहुत बुरी तरह से व्यय करते हुए धन संपत्ति नष्ट करना। जैसे–दो-तीन बरस के अन्दर ही उन्होंने लाखों रुपए फूँक-ताप डालें। विशेष–ऐसे अवसरों पर मुख्य आशय यही है कि जिस प्रकार शीत का कष्ट दूर करने और गरमी का सुख लेने के लिए लकड़ियाँ जलाते है उसी प्रकार धन को लकड़ियों की तरह जलाकर उसकी गरमी या ताप का सुख भोगा गया है ४. दे० ‘तपाना’।				 | 
			
			
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					तापनिक					 :
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					वि० [सं० तापन+ठक्-इक] १. तापने या तपाने से संबंध रखनेवाला। २. तापन या तपाने के रूप में होनेवाला।				 | 
			
			
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					तापनीय					 :
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					वि० [सं० तापनीय+अण्] सोनहला। पुं० एक उपनिषद् का नाम।				 | 
			
			
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					तापमान-यंत्र					 :
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					पुं०=तापमापक यंत्र।				 | 
			
			
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					तापमापी					 :
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					पुं०=तापमापक यंत्र।				 | 
			
			
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					तापल					 :
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					पुं० [सं० ताप] क्रोध। (डिं०)।				 | 
			
			
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					तापलेखी(खिन्)					 :
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					पुं० [सं० ताप√लिख् (लिखना)+णिनि] एक प्रकार का तापमान यंत्र जिसमें ताप मात्रा के घटने-बढ़ने का क्रम आर से आप अंकित होता रहता है। (थरमोग्राफ)				 | 
			
			
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					तापश्चित					 :
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					पुं० [सं० तपस्-चित्, स० त०+अण्] एक प्रकार का यज्ञ।				 | 
			
			
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					तापस					 :
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					पुं० [सं० तपस्+ण] [स्त्री० तापसी] १. तपस्या करनेवाला साधु। तपस्वी। २. तमाल। ३. तेजपत्ता। ४. दमनक। दौना। ५. एक प्रकार की ईख। ६. बगला (पक्षी)।				 | 
			
			
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					तापस-तरु					 :
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					पुं० [मध्य० स०] इंगुदी या हिंगोट का पेड़।				 | 
			
			
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					तापस-द्रुम					 :
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					पुं० [सं०मध्य०स०] इंगुदी का पेड़।				 | 
			
			
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					तापस-प्रिय					 :
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					वि० [ष० त०] १. जो तपस्वियों को प्रिय हो। २. जिसे तपस्वी प्रिय हों। पुं० १. इंगुदी या हिंगोट का पेड़। २. चिरौंजी का पेड़।				 | 
			
			
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					तापस-प्रिया					 :
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					स्त्री० [ष० त०] १. दाख। अंगूर। २. मुनक्का।				 | 
			
			
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					तापस-वृक्ष					 :
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					पुं० [मध्य० स०] इंगुदी का पेड़।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तापसक					 :
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					पुं० [तापस+कन्] १. छोटा तपस्वी। २. तपस्वी (व्यंग्य)।				 | 
			
			
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					तापसज					 :
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					पुं० [सं० तापस√जन् (उत्पन्न होना)+ड०] तेजपत्ता।				 | 
			
			
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					तापसह					 :
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					पुं० [सं० तापस] तपस्वी। उदाहरण–थाप दियौ तापसह।–चंदवरदाई।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तापसी					 :
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					वि० [सं० तापस+ङीष्] १. तापस-संबंधी। २. तपस्या संबंधी। स्त्री० १. तपस्विनी। २. तपस्वी की स्त्री०				 | 
			
			
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					तापसेक्षु					 :
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					पुं० [तापस-इक्षु, मध्य० स०] एक प्रकार की ईख।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तापस्य					 :
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					पुं० [सं० तापस+ष्यञ्] १. तापस धर्म। २. संन्यास। वैराग्य।				 | 
			
			
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					तापहरी					 :
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					स्त्री० [सं० ताप√हृ (हरना)+ट+ङीप्] एक तरह का व्यंजन। (भाव प्रकाश)।				 | 
			
			
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					तापा					 :
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					पुं०=टापा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तापायन					 :
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					पुं० [सं० ताप+फक–आयन] वाजसनेयी शाखा का एक भेद।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तापावरोध					 :
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					पुं० [सं० ताप+अवरोष, ष० त०] किसी वस्तु का वह गुण या तत्त्व जो उसे ताप सहन करने की शक्ति देता है। (रिफ्रैक्टरीनेस)।				 | 
			
			
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					तापावरोधक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ताप-अवरोधक, ष० त०] ताप का प्रभाव रोकने या सहन करने वाला (रिफ्रैक्टरी)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तापिंच्छ					 :
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					पुं० [सं० तापिन√छद् (ढकना)+ड, पृषो० सिद्ध०] १. तमाल का वृक्ष। २. उक्त वृक्ष का फूल।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तापिंछ					 :
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					पुं० दे० ‘तापिंज’।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तापिंज					 :
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					पुं० [सं० तापिन√जि (जीतना)+ड] १. सोनामक्खी। २. श्याम तमाल।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तापित					 :
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					भू० कृ० [सं०√तप् (तपना)+णिच्+क्त] जो तपाया गया हो। तप्त। तापयुक्त। २. जिसे कष्ट या दुख पहुँचाया गया हो।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तापी(पिन्)					 :
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					वि० [सं०√तप्+णिच्+णिनि] १. ताप देनेवाला। २. [ताप+इनि] जिसमें ताप हो। ताप से युक्त। तप्त। पुं० बुद्झदेव का एक नाम। स्त्री० [√तप्+णिच्+अच्–ङीष्] १. सूर्य की एक कन्या। २. तापती या ताप्ती नदी जो सूरत के समीप समुद्र में गिरती है। ३. यमुना नदी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तापीज					 :
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					पुं० [सं० तापी√जन् (पैदा होना)+ड] सोनामक्खी। माक्षिक धातु।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तापीय					 :
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					वि० [सं० ताप+छ–ईय] ताप-संबंधी। ताप का।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तापेंद्र					 :
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					पुं० [सं० ताप-इंद्र, ष० त०] सूर्य।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					तापोपचार					 :
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					पुं० [सं० ताप-इंद्र, ष० त०] कोई विशेष प्रकार का प्रभाव उत्पन्न करने के लिए कोई चीज आग पर चढ़ाना या गरम करना। (हीट ट्रीटमेंट)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					ताप्ती					 :
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					स्त्री०=तापती। (नदी)।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					ताप्य					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ताप+यत्] सोनामक्खी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |