शब्द का अर्थ
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					तिस					 :
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					सर्व० [सं० तस्मिन्; पा० तिस्स](यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) ‘ता’ का वह रूप जो उसे विभक्ति लगने से प्राप्त होता है उस का पुराना और स्थानिक रूप। जैसे–तिसने, तिसकों, तिससे आदि। पद–तिस पर-इतना होने पर। ऐसी अवस्था में भी। जैसे–सौ रुपये तो ले गये, तिस पर अभी तक नाराज ही हैं।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					तिसकार					 :
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					पुं०=तिरस्कार।				 | 
			
			
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					तिसखुट					 :
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					स्त्री० [हिं० तीसी+खूँटी] तीसी के पौधे की खूंटी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिसखुर					 :
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					स्त्री०=तिसखुट।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिसन					 :
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					स्त्री०=तृष्णा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिसरा					 :
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					वि०=तीसरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिसरायके					 :
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					अव्य० [हिं० तिसरा] तीसरी बार।				 | 
			
			
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					तिसरायत					 :
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					स्त्री० [हिं० तीसरा] तीसरा अर्थात् गैर या पराया होने का भाव। पुं०=तिसरैत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिसरैत					 :
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					पुं० [हिं० तीसरा] १. दो विरोधी, दलों, पक्षों, व्यक्तियों से भिन्न ऐसी तीसरा व्यक्ति जिसका उनके बैर-विरोध से कोई संबंध न हो। तटस्थ। जैसे–किसी तिसरैत को बीच में डालकर झगड़ा निबटा लो। २. लाभ, संपत्ति, आदि में तीसरे अंश या हिस्से का अधिकारी अथवा मालिक।				 | 
			
			
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					तिसा					 :
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					वि० [सं० तादृश] [स्त्री० तिसी] तैसा। वैसा। स्त्री०=तृषा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिसाना					 :
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					अ० [सं० तृषा] प्यासा होना। तृषित होना। उदाहरण–सरवर तटि हसिनी तिसाई।–कबीर।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिसार					 :
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					पुं०=अतिसार।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिसूत					 :
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					पुं० [?] एक प्रकार की ओषधि।				 | 
			
			
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					तिसूती					 :
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					वि० [हि० तीन+सूत] (कपड़ा) जिसमें तीन-तीन सूत एक साथ ताने और बाने में होते हैं। स्त्री० उक्त प्रकार से बुना हुआ कपड़ा।				 | 
			
			
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					तिसे					 :
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					सर्व०=उसे।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तिस्ना					 :
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					स्त्री०=तृष्णा।				 | 
			
			
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					तिस्रा					 :
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					स्त्री० [?] शंख-पुष्पी।				 | 
			
			
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					तिस्स					 :
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					पुं० [सं० तिष्य] सम्राट अशोक के एक भाई का नाम।				 | 
			
			
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