शब्द का अर्थ
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					तूस					 :
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					पुं० [तिब्बती थोथ] [वि० तूसी] १. एक प्रकार का बहुत बढिया और मुलायम ऊन जो काश्मीर से लेकर नैपाल तक की एक तरह की पहाड़ी बकरियों के शरीर पर होता है। पशम। २. उक्त ऊन का जमाया हुआ कंबल या नमदा। ३. उक्त ऊन की बुनी हुई बढ़िया चादर। पशमीना। पुं० तुष। (भूसी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तूसदान					 :
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					पुं० [पुर्त्त० काटूश+दान (प्रत्यय)] कारतूस।				 | 
			
			
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					तूसना					 :
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					अ० [सं० तुष्ट] १. संतुष्ट होना। २. प्रसन्न होना। स० १. संतुष्ट करना। २. प्रसन्न करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तूसा					 :
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					पुं० [सं० तुष] चोकर। भूसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तूसी					 :
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					वि० [सं० तुष] धान के चिलके के रंग का। पुं० उक्त प्रकार का रंग। (हस्क)।				 | 
			
			
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					तूस्त					 :
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					पुं० [सं०√तुस् (शब्द करना)+तन् (दीर्घ)] १. धूल। रज। रेणु। २. किसी चीज का बहुत छोटा टुकड़ा। कण। ३. जटा। ४. धनुष।				 | 
			
			
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