शब्द का अर्थ
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					तोर					 :
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					पुं० [सं० तुवर] अरहर। वि०=तेरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=तोड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तोरई					 :
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					स्त्री०=तोरी।				 | 
			
			
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					तोरण					 :
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					पुं० [सं०√तुर् (जल्दी करना)+ल्युट-अन] १. किसी बड़ी इमारत या नगर का वह बड़ा और बाहरी फाटक जिसका ऊपरी भाग मंडपाकार हो और प्रायः पताकाओं, मालाओं आदि से सजाया जाता हो २. उक्त फाटक सजाने के लिए लगाई जानेवाली पताकाएं मालाएँ आदि। ३. ऐसी बनावट या वास्तु रचना जिसका ऊपरी भाग अर्द्ध-गोलाकार और बेल-बूटेदार हो। मेहराब। (आर्च)। ४. उक्त फाटक के आकार-प्रकार की कोई अस्थायी रचना जो प्रायः शोभा सजावट आदि के लिए की जाती है। ५. वे मालाएँ आदि जो सजावट के लिए खंभों और दीवारों आदि में बाँधकर लटकाई जाती है। बंदनवार। पुं० [सं०√तुल् (तौलना)+ल्युट-ल-र] १. ग्रीवा। गला। २. महादेव। शिव।				 | 
			
			
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					तोरण-माल					 :
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					पुं० [ब० स०] अवंतिकापुरी।				 | 
			
			
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					तोरण-स्फटिका					 :
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					स्त्री० [ब० स०] दुर्योधन की वह सभा जो उसके पांडवों की मयदानव वाली सभा देखकर उसके जोड़ की बनवाई थी।				 | 
			
			
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					तोरन					 :
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					पुं०=तोरण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तोरना					 :
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					स०=तोड़ना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तोरश्रवा					 :
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					पुं० [सं०] अंगिरा ऋषि का एक नाम।				 | 
			
			
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					तोरा					 :
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					पुं० [तु० तोरह] १. भेंट रूप में देने या स्वागत-सत्कार के लिए रखा जानेवाला वह बड़ा थाल जिसमें स्वादिष्ठ पकवान, मांस, मिठाइयाँ आदि रखी जाती है। २. विवाह के अवसर पर वर-पक्ष को उक्त प्रकार के थाल भेंट करने या भेजने की रसम। (मुसल०) सर्व० दे० ‘तेरा’।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०-तोड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=तुर्रा (कलगी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तोराई					 :
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					अ० [अव्य० त्वरा] १. वेगपूर्वक। तेजी से। २. जल्दी। शीघ्र।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तोराना					 :
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					स०=तुड़ाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तोरावान					 :
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					वि० [सं० त्वरावत्] [स्त्री० तोरावली] वेगवान्। तेज।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					तोरित					 :
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					भू० कृ० [सं०√तीर्(कार्य समाप्त होना)+क्त] निर्णीत।				 | 
			
			
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					तोरिया					 :
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					स्त्री० [सं० तूरी] गोटा-किनारी बुननेवालों का वह छोटा बेलन जिस पर वे बुना हुआ गोटा आदि लपेटते चलते हैं। स्त्री० [देश०] १. वह गाय या भैंस जिसका बच्चा मर गया हो और जिसका दूध दुहने के लिए कोई युक्ति करनी पड़ती हो। २. एक प्रकार की सरसों।				 | 
			
			
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					तोरी					 :
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					स्त्री० [सं० तूर] १. एक प्रकार की बेल जिसकी फलियों की तरकारों की बनती है। २. उक्त बेल की फली जो प्रायः ननुए की तरह होती और तरकारी बनाने के काम आती है। ३. काली सरसों।				 | 
			
			
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