शब्द का अर्थ
			 | 
		 
					
				| 
					त्रि-पुष्कर					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० द्विगु० स०] फलित ज्योतिष में एक योग जो पुनर्वसु उत्तराषाढा़ कृत्तिका, उत्तराफाल्गुनी पूर्वभाद्रपद और विशाखा नक्षत्रों रवि, मंगल और शनि वारों तथा द्वितीय, सप्तमी और द्वादशी तिथियों में से किसी एक नक्षत्र वार या तिथि के एक सात पड़ने से होता है। बालक के जन्म के लिए ये यह योग जारज योग समझा जाता है।				 | 
			 
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
		 |