शब्द का अर्थ
			 | 
		
					
				| 
					त्रिल					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ब० स०] नगण, जिसमें तीनों लघु वर्ण होते हैं।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिलोक					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० द्विगु० स०] स्व्रग, मर्त्य और पाताल ये तीनों लोक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिलोक-नाथ					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०] १. तीनों लोकों का मालिक ईश्वर। २. राम ३. कृष्ण। ४. विष्णु का कोई अवतार। ५. सूर्य।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिलोक-पति					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ष० त०]=त्रिलोकनाथ।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिलोकी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० त्रिलोक+ङीप्] त्रिलोक।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिलोकी-नाथ					 :
				 | 
				
					पुं०=त्रिलोकनाथ।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिलोकेश					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० त्रिलोक-ईश, ष० त०] १. ईश्वर। २. सूर्य।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिलोचन					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० ब० स०] महादेव। शिव।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिलोचनी					 :
				 | 
				
					स्त्री० [सं० ब० स० ङीष्] दुर्गा।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
				| 
					त्रिलौह					 :
				 | 
				
					पुं० [सं० द्विगु० स०] सोना, चाँदी और ताँबा ये तीनों धातुएँ।				 | 
			
			
				 | 
				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 |