शब्द का अर्थ
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					नस्त					 :
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					पुं० [सं०√नस् (टेढ़ा होना)+क्त] १. नाक। २. नसवार। सुँघनी।				 | 
			
			
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					नस्त-करण					 :
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					पुं० [ष० त०] नाक में दवा डालने का एक प्राचीन उपकरण।				 | 
			
			
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					नस्तक					 :
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					पुं० [सं० नस्त+कन्] १. पशुओं की नाक में किया हुआ छेद जिसमें रस्सी डाली जाती है। २. नाक में का छेद।				 | 
			
			
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					नस्तन					 :
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					पुं० [फा०] १. सेवती (सफेद गुलाब) का पौधा और उसका फूल। २. पुरानी चाल का एक प्रकार का कपड़ा।				 | 
			
			
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					नस्ता					 :
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					पुं० [सं० नस्त+टाप्] नस्तक (दे०)।				 | 
			
			
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					नस्तालीक					 :
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					वि० [अ० नस्तऽलीक ] जिसकी चाल-ढाल या रूप-रंग बहुत आकर्षक तथा सुन्दर हो। पुं० अरबी और फारसी लिपि लिखने का वह ढंग या प्रकार जिसमें अक्षर बहुत ही साफ सुडौल और सुपाठ्य रूप में लिखे जाते हैं। (उर्दू पुस्तकों की छपाई इसी लिपि में होती है)।				 | 
			
			
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					नस्तित					 :
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					वि० [सं० नस्त+इतच्] १. (पशु) जिसे नाथ पहनाया गया हो। २. नत्थी में लगाया हुआ। (फाइल्ड) पुं० एक तरह का बैल।				 | 
			
			
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