शब्द का अर्थ
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नाह :
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पुं० [सं० नाथ] १. नाथ। स्वामी। मालिक। २. स्त्री० का पति। ३. बन्धन। ४. हिरन आदि फँसाने का जाल या फंदा। पुं० [सं० नाभि] पहिए के बीच का छेद। नाभि।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) अव्य०=नहीं।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
नाह-नूँह :
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स्त्री० [हिं० नाहीं] १. कई बार किया जानेवाला ‘ना’ ‘ना’ या ‘नहीं’ ‘नहीं’ शब्द। २. कुछ-कुछ दबी जबान से किया जानेवाला इन्कार। |
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समानार्थी शब्द-
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नाहक :
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क्रि० वि० [फा० ना+अ० हक़] अनुचित रूप से और अकारण। व्यर्थ। |
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नाहट :
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वि० [देश०] १. बुरा। २. नटखट। |
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नाहर :
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पुं० [सं० नरहरि] १. सिंह। शेर। २. बाघ। ३. बहुत बड़ावीर और साहसी पुरुष। पुं० [?] टेसू का पौधा और फूल। |
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नाहर-मुखी :
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पु. दे० ‘शेर-मुखी’। |
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नाहर-साँस :
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पुं० [हिं० नाहर+साँस] घोड़ों के साँस फूलने का एक रोग। |
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नाहरू :
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पुं० १. नाहर। २. नारू (रोग)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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नाहिन :
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अव्य० [हिं० नाही] नहीं।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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नाहीं :
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अव्य० दे० ‘नहीं’। स्त्री० [हिं० नहीं] नहीं करने या कहने की क्रिया या भाव। |
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नाही :
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पुं० [सं० नाथ] स्वामी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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नाहुष :
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वि० [सं० नहुष+अण्] नहुष-संबंधी। नहुष का। पुं० नहुष के पुत्र ययाति। |
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नाहुषि :
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पुं० नाहुष। |
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