शब्द का अर्थ
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					निरूढ़					 :
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					वि० [सं० निर्√रुह् (उत्पत्ति)+क्त] [स्त्री० निरूढ़ा] १. उत्पन्न। २. प्रसिद्ध। विख्यात। ३. अविवाहित। कुआँरा। ४. (शब्द का अर्थ) जो उसके व्युत्पत्तिक अर्थ से भिन्न होता है और परम्परा से स्वीकृत होता है। पुं० एक प्रकार का पशु यज्ञ।				 | 
			
			
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					निरूढ़-लक्षणा					 :
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					स्त्री० [सं० कर्म० स०] लक्षणा का एक भेद, जो उस अवस्था में माना जाता है, जब किसी शब्द का गृहीत अर्थ (व्युत्पत्तिक अर्थ से भिन्न) प्रचलित और रूढ़ हो जाता है।				 | 
			
			
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					निरूढ़वस्ति					 :
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					स्त्री० [सं० कर्म० स०] पिचकारी के आकार का एक प्रकार का उपकरण जिसके द्वारा रोगी के गुदा-मार्ग से ओषधि पहुँचाई जाती है। (वैद्यक)				 | 
			
			
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					निरूढ़ा					 :
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					स्त्री० [सं० निरूढ़+टाप्] निरूढ़-लक्षणा। (दे०)				 | 
			
			
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					निरूढ़ि					 :
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					स्त्री० [सं० नि√रूह्+क्तिन्] १. ख्याति। प्रसिद्धि। २. दे० ‘निरूढ़-लक्षणा’।				 | 
			
			
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