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पिष्ट-पेषण  : पुं० [ष० त०] १. पीसी हुई चीज को फिर से पीसना। २. उक्त के आधार पर ठीक तरह से पूरे किये हुए कार्य को फिर उसी तरह दोहराकर व्यर्थ परिश्रम करना जिस प्रकार पीसी हुई चीज को फिर से पीसने का व्यर्थ परिश्रम किया जाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पिष्ट-पेषण  : पुं० [ष० त०] १. पीसी हुई चीज को फिर से पीसना। २. उक्त के आधार पर ठीक तरह से पूरे किये हुए कार्य को फिर उसी तरह दोहराकर व्यर्थ परिश्रम करना जिस प्रकार पीसी हुई चीज को फिर से पीसने का व्यर्थ परिश्रम किया जाता है।
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