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पीर  : स्त्री० [सं० पीड़ा] १. कष्ट। तकलीफ। दुःख। २. दर्द। वेदना। ३. दूसरे का कष्ट या पीड़ा देखकर उसके प्रति मन में होनेवाली करुणा-पूर्ण भावना या सहानुभूति। दूसरे के दुःख से कातर होने की अवस्था या भाव। ४. प्रसव-काल के समय स्त्रियों को होनेवाली पीड़ा या दर्द। क्रि० प्र०—आना।—उठना। मुहा०—(किसी की) पीर जानना या पाना=सहानुभूतिपूर्वक किसी का कष्ट या दुःख समझना। वि० [फा०] [भाव० पीरी] १. वृद्ध। बुड्ढा। २. बड़ा और पूज्य। बुजुर्ग। ३. चालाक। धूर्त। पुं० १. परलोक का मार्ग-दर्शक धर्म-गुरु। २. महात्मा और सिद्ध पुरुष। ३. मुसलमानों का धर्मगुरु। ४. सोमवार का दिन। चंद्रवार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पीर  : स्त्री० [सं० पीड़ा] १. कष्ट। तकलीफ। दुःख। २. दर्द। वेदना। ३. दूसरे का कष्ट या पीड़ा देखकर उसके प्रति मन में होनेवाली करुणा-पूर्ण भावना या सहानुभूति। दूसरे के दुःख से कातर होने की अवस्था या भाव। ४. प्रसव-काल के समय स्त्रियों को होनेवाली पीड़ा या दर्द। क्रि० प्र०—आना।—उठना। मुहा०—(किसी की) पीर जानना या पाना=सहानुभूतिपूर्वक किसी का कष्ट या दुःख समझना। वि० [फा०] [भाव० पीरी] १. वृद्ध। बुड्ढा। २. बड़ा और पूज्य। बुजुर्ग। ३. चालाक। धूर्त। पुं० १. परलोक का मार्ग-दर्शक धर्म-गुरु। २. महात्मा और सिद्ध पुरुष। ३. मुसलमानों का धर्मगुरु। ४. सोमवार का दिन। चंद्रवार।
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पीर-नाबालिग  : पुं० [फा० पीर+अ० नाबालिग] ऐसा वृद्ध जो बच्चों के से आचरण, काम या बातें करे। सठियाया हुआ बुड्ढा। बुद्धि भ्रष्ट बूढ़ा।
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पीर-नाबालिग  : पुं० [फा० पीर+अ० नाबालिग] ऐसा वृद्ध जो बच्चों के से आचरण, काम या बातें करे। सठियाया हुआ बुड्ढा। बुद्धि भ्रष्ट बूढ़ा।
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पीर-भुचड़ी  : पुं० [फा०+अनु०] जनखों या हिजड़ों के संप्रदाय के एक कल्पित पीर।
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पीर-भुचड़ी  : पुं० [फा०+अनु०] जनखों या हिजड़ों के संप्रदाय के एक कल्पित पीर।
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पीर-मुरशिद  : पुं० [फा०] गुरु, महात्मा और पूज्यनीय व्यक्ति। प्रायः राजाओं, बादशाहों और बड़ों के लिए भी इसका प्रयोग होता है।
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पीर-मुरशिद  : पुं० [फा०] गुरु, महात्मा और पूज्यनीय व्यक्ति। प्रायः राजाओं, बादशाहों और बड़ों के लिए भी इसका प्रयोग होता है।
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पीरजादा  : पुं० [फा० पीरजादा] [स्त्री० पीरजादी] किसी पीर या धर्मगुरु का पुत्र।
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पीरजादा  : पुं० [फा० पीरजादा] [स्त्री० पीरजादी] किसी पीर या धर्मगुरु का पुत्र।
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पीरतन  : पुं० [हिं० पियरा+तन (प्रत्यय)] पीलापन। उदा०—कबीर हरदी पीरतनु हरै चून चिहनुन रहाइ।—कबीर।
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पीरतन  : पुं० [हिं० पियरा+तन (प्रत्यय)] पीलापन। उदा०—कबीर हरदी पीरतनु हरै चून चिहनुन रहाइ।—कबीर।
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पीरना  : स०=पेरना। उदा०—तेली ह्वै तन कोल्हू करिहौ पाप पुन्नि दोऊ पीरौं।—कबीर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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पीरना  : स०=पेरना। उदा०—तेली ह्वै तन कोल्हू करिहौ पाप पुन्नि दोऊ पीरौं।—कबीर।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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पीरमान  : पुं० [लश०] मस्तूल के ऊपर बँधे हुए वे डंडे जिनके दोनों सिरों पर लट्ट लगे रहते हैं और जिन पर पाल चढ़ाई जाती है। अडडंड़ा।
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पीरमान  : पुं० [लश०] मस्तूल के ऊपर बँधे हुए वे डंडे जिनके दोनों सिरों पर लट्ट लगे रहते हैं और जिन पर पाल चढ़ाई जाती है। अडडंड़ा।
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पीरा  : स्त्री०=पीड़ा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) वि० [स्त्री० पीरी] पीला।
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पीराई  : पुं० [फा० पीर+आई (प्रत्य०)] १. डफालियों की तरह की एक जाति जिसकी जीविका पीरों के गीत गाने से चलती है। २. उक्त जाति का व्यक्ति। स्त्री०=पीरी (‘पीर’ का भाव०)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पीराई  : पुं० [फा० पीर+आई (प्रत्य०)] १. डफालियों की तरह की एक जाति जिसकी जीविका पीरों के गीत गाने से चलती है। २. उक्त जाति का व्यक्ति। स्त्री०=पीरी (‘पीर’ का भाव०)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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पीरानी  : स्त्री० [फा०] पीर अर्थात् मुसलमानी धर्मगुरु की पत्नी।
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पीरानी  : स्त्री० [फा०] पीर अर्थात् मुसलमानी धर्मगुरु की पत्नी।
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पीरी  : स्त्री० [फा०] १. वृद्ध होने की अवस्था, या भाव। वृद्धावस्था। २. किसी इस्लामी धर्म-स्थान के पीर (महन्त) होने की अवस्था या भाव। ३. दूसरों को अपना अनुयायी या शिष्ट बनाने का धन्धा या पेशा। ४. बहुत बड़ी चालाकी या बहादुरी। जैसे—इतना सा-काम करके तुमने कौन-सी पीरी दिखला दी। ५. किसी प्रकार का विशेषाधिकार। इजारा। ठेका। (व्यंग्य) जैसे—यहाँ क्या तुम्हारे बाबा की पीरी है। ६. कोई अलौकिक या चमत्कापूर्ण कृत्य करने की शक्ति। वि० हिं० ‘पीरा’ (पीला) का स्त्री०।
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पीरी  : स्त्री० [फा०] १. वृद्ध होने की अवस्था, या भाव। वृद्धावस्था। २. किसी इस्लामी धर्म-स्थान के पीर (महन्त) होने की अवस्था या भाव। ३. दूसरों को अपना अनुयायी या शिष्ट बनाने का धन्धा या पेशा। ४. बहुत बड़ी चालाकी या बहादुरी। जैसे—इतना सा-काम करके तुमने कौन-सी पीरी दिखला दी। ५. किसी प्रकार का विशेषाधिकार। इजारा। ठेका। (व्यंग्य) जैसे—यहाँ क्या तुम्हारे बाबा की पीरी है। ६. कोई अलौकिक या चमत्कापूर्ण कृत्य करने की शक्ति। वि० हिं० ‘पीरा’ (पीला) का स्त्री०।
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पीरु  : पुं० [फा० पील मुर्ग] एक प्रकार का मुरगा।
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पीरु  : पुं० [फा० पील मुर्ग] एक प्रकार का मुरगा।
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पीरोजा  : पुं० दे०=फीरोजा।
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पीरोजा  : पुं० दे०=फीरोजा।
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