शब्द का अर्थ
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पुकार :
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स्त्री० [हिं० पुकारना] १. पुकारने अर्थात् जोर से नाम लेकर संबोधित करने की क्रिया या भाव। २. कहीं उपस्थित होने के लिए किसी का जोर से लिया जानेवाला नाम। जैसे—कचहरी में पुकार होने पर कैदी न्यायाधीश के सामने लाया गया। ३. आत्मरक्षा, सहायता आदि के लिए दूसरों को बुलाने की क्रिया या भाव। मुहा०—पुकार उठाना या मचाना=कोई काम कराने या अनौचित्य, अन्याय आदि रोकने के लिए सबसे चिल्लाकर कहना या आंदोलन करना। ४. किसी चीज का अभाव होने पर उसके लिए जन-साधारण द्वारा की जानेवाली बहुत जोरों की माँग। जैसे—शहर में चीनी की पुकार मची है। ५. अपना कष्ट जतलाते हुए किसी से न्याय करने के लिए की जानेवाली प्रार्थना। फरियाद। ६. किसी काम या बात के लिए दिया जानेवाला निमंत्रण। बुलावा। ७. जोर देते हुए किसी काम या बात के लिए किया जानेवाला निवेदन या प्रार्थना। ८. किसी बात का अभाव या आवश्यकता सूचित करने के लिए कही जानेवाली बात। क्रि० प्र०—मचना।—मचाना। ९. संगीत में कंठ या वाद्य से निकाला हुआ कोई ऐसा बहुत ऊंचा स्वर जिसका क्रम अपेक्षया अधिक समय तक चलता रहे। जैसे—शहनाई की यह पुकार बहुत ही सुन्दर हुई है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुकार :
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स्त्री० [हिं० पुकारना] १. पुकारने अर्थात् जोर से नाम लेकर संबोधित करने की क्रिया या भाव। २. कहीं उपस्थित होने के लिए किसी का जोर से लिया जानेवाला नाम। जैसे—कचहरी में पुकार होने पर कैदी न्यायाधीश के सामने लाया गया। ३. आत्मरक्षा, सहायता आदि के लिए दूसरों को बुलाने की क्रिया या भाव। मुहा०—पुकार उठाना या मचाना=कोई काम कराने या अनौचित्य, अन्याय आदि रोकने के लिए सबसे चिल्लाकर कहना या आंदोलन करना। ४. किसी चीज का अभाव होने पर उसके लिए जन-साधारण द्वारा की जानेवाली बहुत जोरों की माँग। जैसे—शहर में चीनी की पुकार मची है। ५. अपना कष्ट जतलाते हुए किसी से न्याय करने के लिए की जानेवाली प्रार्थना। फरियाद। ६. किसी काम या बात के लिए दिया जानेवाला निमंत्रण। बुलावा। ७. जोर देते हुए किसी काम या बात के लिए किया जानेवाला निवेदन या प्रार्थना। ८. किसी बात का अभाव या आवश्यकता सूचित करने के लिए कही जानेवाली बात। क्रि० प्र०—मचना।—मचाना। ९. संगीत में कंठ या वाद्य से निकाला हुआ कोई ऐसा बहुत ऊंचा स्वर जिसका क्रम अपेक्षया अधिक समय तक चलता रहे। जैसे—शहनाई की यह पुकार बहुत ही सुन्दर हुई है। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुकारना :
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स० [सं० प्रकुश] १. किसी को बुलाने, संबोधित करने या उसका ध्यान आकृष्ट करने के लिए जोर से उसका नाम लेना। २. रक्षा, सहायता आदि के लिए किसी का आवाहन करना। जैसे—भारत-माता नवयुवकों को पुकार रही है। ३. किसी के नाम का जोर से उच्चारण करना। धुन लगाना। रटना। जैसे—ईश्वर का नाम पुकारना। ४. लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए जोर से किसी पद या शब्द का उच्चारण करना। उदा०—हरी हरी पुकारती हरी हरी लतान में। ५. कोई वस्तु पाने के लिए आकुल होकर बार बार उसका नाम लेना। चिल्लाकर माँगना। जैसे—प्यास के मारे सब ‘पानी पानी’ पुकार रहे है। ६. छुटकारे, बचाव, रक्षा आदि के लिए जोर से आवाज लगाना या चिल्लाना। ७. किसी नाम या संज्ञा से किसी को अभिहित करना। कहना। नाम धरना। (क्व०) जैसे—यहाँ तो इसे ‘तीतर’ पुकारते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
पुकारना :
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स० [सं० प्रकुश] १. किसी को बुलाने, संबोधित करने या उसका ध्यान आकृष्ट करने के लिए जोर से उसका नाम लेना। २. रक्षा, सहायता आदि के लिए किसी का आवाहन करना। जैसे—भारत-माता नवयुवकों को पुकार रही है। ३. किसी के नाम का जोर से उच्चारण करना। धुन लगाना। रटना। जैसे—ईश्वर का नाम पुकारना। ४. लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए जोर से किसी पद या शब्द का उच्चारण करना। उदा०—हरी हरी पुकारती हरी हरी लतान में। ५. कोई वस्तु पाने के लिए आकुल होकर बार बार उसका नाम लेना। चिल्लाकर माँगना। जैसे—प्यास के मारे सब ‘पानी पानी’ पुकार रहे है। ६. छुटकारे, बचाव, रक्षा आदि के लिए जोर से आवाज लगाना या चिल्लाना। ७. किसी नाम या संज्ञा से किसी को अभिहित करना। कहना। नाम धरना। (क्व०) जैसे—यहाँ तो इसे ‘तीतर’ पुकारते हैं। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |