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पेटी  : स्त्री० [हिं० पेट] १. मनुष्य के शरीर में, छाती और पेड़ू के बीच का वह स्थान जो प्रायः कुछ उभरकर आगे निकल आता है और जिसमें त्रिबली नाम के दो या तीन बल पड़ते हैं। मुहा०—पेटी निकलना या पड़ना=पेट का उक्त भाग फूलकर आगे की ओर निकलना। (किसी से) पेटी लड़ाना=मैथुन या संभोग करना। २. अन्न के दानों का भीतरी भाग जिसके पुष्ट होने से वे अधिक समय तक बिना घुने रह सकते हैं। जैसे—कच्ची (या पक्की) पेटी का गेहूँ। ३. कमर में लपेट कर बाँधने का तस्मा। कमरबंद। ४. उक्त प्रकार का वह तस्मा जिसमें चपरास भी लगी रहती है। मुहा०—पेटी उतरना=सिपाही का मुअत्तल या बरखास्त किया जाना। ५. उक्त प्रकार का वह तस्मा या पेट्टी जो बुलबुल आदि पक्षियों की कमर में इसलिए बाँधी जाती है कि उसमें लगे हुए डोरे के आधार पर वे अड्डे या हाथ पर बैठाये जा सकें। (बेल्ट, अंतिम तीनों अर्थों में) क्रि० प्र०—बाँधना। स्त्री० [सं० पेटिका] १. छोटा संदूक। संदूकची। जैसे—रोकड़ रखने या माल बाहर भेजने की पेटी। २. छोटी डिबिया। जैसे—दियासलाई की पेटी, सिगरेट की पेटी। ३. उक्त प्रकार का वह आधान जिसमें हज्जाम अपना उस्तरा कैंची, नहरनी आदि रखते हैं। किसबत।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
पेटीकोट  : पुं० [अं०] छोटे घेरेवाले एक तरह का घाघरा जिसे आज-कल स्त्रियाँ धोती या साड़ी के नीचे पहनती हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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