शब्द का अर्थ
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					फाँक					 :
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					स्त्री० [सं० फलक] १. फल आदि का कटा हुआ लंबोतरा टुकड़ा। (विशेषतः लंबाई के बल कटा हुआ टुकड़ा) जैसे—ग्राम या सेब की फाँक। २. नारंगी मुसम्मी आदि फलों के अन्दर उक्त प्रकार का होनेवाला अंग जो ऐसे ही अन्य अंगों से जुडा रहता है। ३. खरबूजे आदि फलों पर बने हुए उन प्रकृति चिन्हों में से हर एक जहाँ पर वे काटकर फाँकें बनायी जाती है।				 | 
			
			
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					फाँकड़ा					 :
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					वि० [देश०] १. बाँका। तिरछा। २. हृष्ट-पुष्ट। तगड़ा।				 | 
			
			
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					फाँकना					 :
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					स० [हिं० पंकी] १. चूर्ण के रूप में कोई ओषधि या अन्य पदार्थ अंजलि में लेकर झटके से मुँह में डालना। जैसे—सत्तू फाँकना, सुती फाँकना। २. भुने हुए दाने खाना। जैसे—चने फाँकना। मुहावरा—धूल फाँकना=व्यर्थ में चारों ओर घूमना तथा मारा-मारा फिरना।				 | 
			
			
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					फाँका					 :
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					पुं०=फंका। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					फाँकी					 :
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					स्त्री० [सं० फक्किया] १. धोखा देते हुए किसी को किसी काम या बात से अलग रखना। वंचित रखना। २. छल। धोखा। क्रि० प्र०—देना। स्त्री०—फाँक। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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