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भाई  : पुं० [सं० भ्रातृ] १. किसी प्राणी के संबंध के विचार से वह नर प्राणी जो उसी के माता-पिता अथवा माता या पिता से उत्पन्न हुआ हो। भ्राता। सहोदर। २. एक ही वंश या परिवार की किसी एक पीढ़ी के व्यक्ति की दृष्टि से उसी पीढ़ी का कोई दूसरा पुरुष। जैसे—चाचा का लड़का=चचेरा भाई, फूफी का लड़का=फुफेरा भाई, मौसी का लड़का=मौसेरा भाई, मामा का लड़का=ममेरा भाई। ३. अपनी जाति या समाज का कोई ऐसा व्यक्ति जिसके साथ समानता का व्यवहार होता है। जैसे—जाति, भाई, मुँह बोला भाई। अव्य०=भई (सम्बोधन)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
भाई-दूज  : स्त्री० [हिं० भाई+दूज] कार्तिक शुक्ल द्वितीया। भयादूज। (इस दिन बहन अपने भाई की टीका लगाती, भोजन कराती, तथा फल, मिठाई आदि देती हैं)।
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भाई-बंद  : पुं० [हिं० भाई+बंधु] १. भाई और मित्र बंधु आदि। २. अपनी जात बिरादरी या नाते के ऐसे लोग जिनके साथ भाइयों का सा व्यवहार होता हो।
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भाई-बंधु  : पुं० =भाई-बंद।
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भाई-बिरादरी  : स्त्री० [हिं० भाई+बिरादरी] एक ही जाति या समाज के वे लोग जिनके संबंध साथ आत्मीयता का और भाइयों का-सा व्यवहार होता हो।
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भाईचारा  : पुं० [हिं० भाई+सं० आचार] दो व्यक्तियों या पक्षों में होनेवाला ऐसा आत्मीयतापूर्ण संबंध जिसमें सामाजिक अवसरों पर भाइयों की तरह आपस में लेन-देन होता है।
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भाईपन  : पुं० [हिं० भाई+पन (प्रत्यय)] १. भाई होने की अवस्था या भाव। भ्रातृत्व। २. घनिष्ठ आत्मीयता या बंधुता। भाई-चारा।
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