शब्द का अर्थ
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					भान					 :
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					पुं० [सं०√भा (प्रकाश करना)+ल्युट्—अन] १. प्रकाश। रोशनी। २. चमक। दीप्ति। ३. ज्ञान। बोध। ४. किसी चीज या बात के लक्षणों से होनेवाला ज्ञान। आभास। उदा०—हो गया भस्म वह प्रथम भान।—निराला। पुं०=भानु (सूर्य)। पुं० दे० ‘तुंग’ (वृक्ष)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					भान-मुखी					 :
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					पुं० [सं० ब० स०+ङीष्] सूर्यमुखी। (पौधा और फूल)				 | 
			
			
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					भानजा					 :
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					पुं० [हिं० बहन+जा] [स्त्री० भानजी] बहिन का लड़का। भागनेय।				 | 
			
			
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					भानना					 :
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					स० [सं० भजन; मि० पं० भन्नना] १. भग्न करना। काटना या तोड़ना। २. नष्ट या बरबाद करना। ३. दूर करना। हटाना। स० [हिं० भान] १. आभास देखकर भान या ज्ञान प्राप्त करना। २. अनुमान से समझना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					भानमती					 :
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					स्त्री० [सं० भानुमती] जादू के खेल दिखलानेवाली स्त्री। जादूगरनी। पद—भानमती का कुनबा—जहाँ-जहाँ के लिए हुए बेमेल उपादानों से बनी वस्तु। भानमती का पिटारा=वह आधान जिसमें तरह-तरह की चीजें मौजूद हों। (व्यंग्य)				 | 
			
			
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					भाना					 :
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					अ० [सं० भान=ज्ञान] १. भान या आभास होना। जान पड़ना। मालूम होना। २. रुचिकर प्रतीत होना। अच्छा लगना। पसन्द आना। ३. शोभित जान पड़ना। फबना। सोहना। स० [सं० भा] १. उज्जवल करना। चमकाना। २. दीप्त या प्रकाशमान करना। ३. चारों ओर चक्कर देना। घुमाना। उदा०—चले पिता का चक्र नियम से, बैठ शिला पर तू शम-दम से, उठे एक आकृति क्रम क्रम से, भली भाँति मैं भाऊँ।—मैथिलीशरण गुप्त। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					भानु					 :
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					पुं० [सं० भा+नु] १. सूर्य। २. आक। मदार। ३. प्रकाश। ४. किरण। ५. विष्णु। ६. कृष्ण के एक पुत्र का नाम। ७. उत्तम मन्वंतर के एक देवता। ८. राजा। ९. वर्तमान अवसर्पिणी के पंद्रहवें अर्हत् के पिता का नाम। (जैन) स्त्री० [सं०] १. सुन्दर स्त्री। सुन्दरी। २. दक्ष की एक कन्या।				 | 
			
			
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					भानु-कंप					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] भारतीय ज्योतिष में, कुछ अवसरों पर सूर्य-ग्रहण के समय सूर्य के बिंब में होनेवाला कंपन जो अमंगल-सूचक माना गया है।				 | 
			
			
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					भानु-किरणी					 :
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					स्त्री० [सं०] संगीत में, कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।				 | 
			
			
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					भानु-केशर					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] सूर्य।				 | 
			
			
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					भानु-तनया					 :
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					स्त्री० [सं० ष० त०] यमुना (नदी)।				 | 
			
			
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					भानु-दिन					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] रविवार।				 | 
			
			
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					भानु-दीपक					 :
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					पुं० [सं०] संगीत में, कर्नाटकी पद्धति का एक राग।				 | 
			
			
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					भानु-देय					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] सूर्य्य।				 | 
			
			
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					भानु-पाक					 :
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					पुं० [सं० तृ० त०] १. सूर्य के ताप में कोई चीज पकाने की क्रिया। २. वह चीज विशेषतः ओषधि जो धूप में रखकर पकाई गई हो।				 | 
			
			
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					भानु-प्रताप					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. रामचरित मानस में वर्णित एक राजा जो कैकय देश के राजा सत्यकेतु का पुत्र था तथा जो दूसरे जन्म में रावण के रूप में जन्मा था। २. संगीत में, कर्नाटकी पद्धति का एक राग।				 | 
			
			
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					भानु-फला					 :
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					स्त्री० [सं० ब० स०+टाप्] केला।				 | 
			
			
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					भानु-मंजरी					 :
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					स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।				 | 
			
			
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					भानु-मत्					 :
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					वि० [सं० भानु+मतुप्] १. प्रकाशमान्। चमकीला। २. सुन्दर। पुं० १. सूर्य। २. श्री कृष्ण का एक पुत्र।				 | 
			
			
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					भानु-वार					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] रविवार।				 | 
			
			
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					भानु-सुत					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] १. यम। २. मनु। ३. शनैश्चर। ४. कर्ण।				 | 
			
			
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					भानु-सुता					 :
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					स्त्री० [सं० ष० त०] यमुना (नदी)।				 | 
			
			
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					भानुज					 :
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					वि० [सं० भानु√जन् (उत्पन्न करना)+ड] [स्त्री० भानुजा] भानु से उत्पन्न। पुं० १. यम। २. शनैश्चर। ३. कर्ण।				 | 
			
			
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					भानुजा					 :
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					स्त्री० [सं० भानुज+टाप्] १. यमुना (नदी)। २. राधिका।				 | 
			
			
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					भानुमती					 :
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					स्त्री० [सं० भानुमत्+ङीष्] १. विक्रमादित्य की रानी जो राजा भोज की कन्या थी। २. अंगिरस की एक कन्या। ३. दुर्योधन की स्त्री। ४. राजा सगर की एक स्त्री। ५. गंगा। ६. जादूगरनी। ७. संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।				 | 
			
			
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