शब्द का अर्थ
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					भेस					 :
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					पुं० [सं० वेष] १. किसी व्यक्ति का वह रूप-अंग जो उसके साधारण पहनावे आदि से प्रकट होता है। क्रि० प्र०—बदलना।—बनाना। २. वह बनावटी रूप-रंग और नकली पहनावा आदि जो अपना वास्तविक रूप या परिचय छिपाने के लिए धारण किया जाय। कृत्रिम रूप और वस्त्र आदि। क्रि० प्र०—धरना। मुहा०—भेस बदलना या बनाना=किसी दूसरे को ऐसा रंग या रूप-रंग धारण करना और पहनावा पहनना जिसे देखकर लोग सहसा उस व्यक्ति को पहचान न सकें, और वही व्यक्ति समझे जिसका भेस उसने बना रखा हो। ३. योगियों, साधु-संन्यासियों आदि का वह रूप-रंग और पहनावा जो उसके विशिष्ट संप्रदाय का सूचक होता है। उदा०—कौन से भेस में, कौन गुरु के चेला।—कबीर।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					भेसज					 :
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					पुं०=भेषज। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					भेसना					 :
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					स० [सं० हिं० भेष] १. वस्त्रादि पहनना। २. किसी का भेस धारण करना।				 | 
			
			
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