शब्द का अर्थ
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					मठा					 :
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					पुं० [सं० मथन] दही का वह घोल जिसमें से मक्खन निकाल लिया गया हो। तक्र। मही। लस्सी। मुहा०—मठे मूसल की हाँकना=बढ़-बढ़कर इधर-उधर की बातें कहना। उदा०—गया था, अब लगा है मठा मूसल की हाँकने।—वृन्दावनलाल वर्मा।				 | 
			
			
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					मठाधीश					 :
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					पुं० [सं० मठ-अधीश, ष० त०] मठ में रहनेवाले साधुओं का प्रधान। महन्त।				 | 
			
			
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					मठान					 :
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					पुं०=मठरना (औजार)।				 | 
			
			
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					मठारना					 :
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					स० [हिं० मठरना] १. कसेरों, सुनारों आदि का मठरना नामक औजार से पत्तरों या चद्दरों को पीटना। २. पत्तरों, चद्दरों आदि को पीट कर गोलाई में लाना। स० [?] १. गूँथे हुए आटे को इस प्रकार हाथों से मसलना तथा सँवारना कि उसमें लस उत्पन्न हो जाय। २. धीरे धीरे तथा बना-सँवार कर कोई बात कहना।				 | 
			
			
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					मठारा					 :
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					पुं० [हिं मठारना] १. मठारने की क्रिया या भाव। २. किसी बात को सुधारने-सँवारते हुए उसकी पुष्टि करने की क्रिया या भाव। जैसे—उन्हें जो वक्तृता देनी थी, उसी पर मठारा दे रहे थे। क्रि० प्र०—देना।				 | 
			
			
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