शब्द का अर्थ
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					मरुत्					 :
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					पुं० [सं०√मृ+उत्] १. एक देवगण का नाम। वेदों में इन्दें रुद्र और वृश्नि का पुत्र लिखा है। २. राजा बृहद्रथ का एक नाम। ३. वायु। हवा। ४. प्राण। ५. सोना। स्वर्ण। ६. सौंदर्य। ७. मरुआ नाम का पौधा। ८. ऋत्विक्। ९. गणिवन। १॰. असवर्ग। ११. दे० ‘मरुत’।				 | 
			
			
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					मरुत्कर					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] राममाष। उड़द।				 | 
			
			
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					मरुत्गण					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] एक प्रकार के देव-गण जिनकी संख्या पुराणों में ४९ कही गई है।				 | 
			
			
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					मरुत्त					 :
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					पुं० [सं० मरुत्+तप्] पुराणानुसार एक चन्द्रवंशी राजा जो महाराज करंधर का पौत्र और अवीक्षित का पुत्र था।				 | 
			
			
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					मरुत्तक					 :
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					पुं० [सं० मरुत√तक् (हँसना)+अच्] मरुआ (पौधा)।				 | 
			
			
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					मरुत्पत्ति					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] इन्द्र।				 | 
			
			
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					मरुत्पथ					 :
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					पुं० [सं० ष० त०]+अच् (प्रत्य०)] आकाश।				 | 
			
			
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					मरुत्प्लव					 :
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					पुं० [सं० मरुत्√प्लु (कूदना)+अच्] सिंह। शेर।				 | 
			
			
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					मरुत्फल					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] ओला।				 | 
			
			
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					मरुत्वाती					 :
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					स्त्री० [सं० मरुत्वत्+ङीष्] धर्म की पत्नी जो प्रजापति की कन्या थी।				 | 
			
			
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					मरुत्वान् (त्वत्)					 :
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					पुं० [सं० मरुत् वल्व] १. इन्द्र। २. हनुमान।				 | 
			
			
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					मरुत्सरव					 :
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					पुं० [सं० ष० त०,+टच्, प्रत्य०] १. इन्द्र। २. अग्नि।				 | 
			
			
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					मरुत्सहाय					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] अग्नि।				 | 
			
			
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					मरुत्सुत					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] १. हनुमान। २. भीम।				 | 
			
			
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