शब्द का अर्थ
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					मुक्ता					 :
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					स्त्री० [सं० मुक्ता+टाप्] [वि० मौक्तिक] १. मोती। २. रासना।				 | 
			
			
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					मुक्ता-पुष्प					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] कुंद (पौधा और फूल)।				 | 
			
			
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					मुक्ता-प्रसू					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] सीप।				 | 
			
			
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					मुक्ता-फल					 :
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					पुं० [सं० उपमि० स०] १. मोती। २. कपूर। ३. लवनी फल। ४. एक प्रकार का छोटा लसोढ़ा।				 | 
			
			
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					मुक्ता-मणि					 :
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					पुं० [सं० मयू० स०] मोती।				 | 
			
			
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					मुक्ता-मोदक					 :
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					पुं० [सं०] मोतीचूर का लडडू।				 | 
			
			
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					मुक्ता-लता					 :
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					स्त्री० [सं० तृ० त०] मोतियों की लड़ी या माला।				 | 
			
			
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					मुक्ता-स्फोट					 :
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					पुं० [सं० च० त०] सीप।				 | 
			
			
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					मुक्तागार					 :
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					पुं० [सं० मुक्ता-आगार, ष० त०] सीप।				 | 
			
			
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					मुक्तात्मा (त्मन्)					 :
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					वि० [सं० मुक्त-आत्मन्, ब० स०] १. जो सांसारिक आसक्तियों या बन्धनों से रहित हो गया हो। २. जिसने मोक्ष प्राप्त कर लिया हो।				 | 
			
			
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					मुक्तादाम (न्)					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] मोतियों की लड़ी।				 | 
			
			
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					मुक्तावली					 :
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					स्त्री० [सं० मुक्ता-आवली, ष० त०] मोतियों की लड़ी।				 | 
			
			
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					मुक्तांशक					 :
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					पुं० [सं० मुक्ता-अंशक, मध्य० स०] प्राचीन भारत में एक प्रकार का कपड़ा जिसकी बनावट में या तो मोतियों का काम होता था या जिसमें मोतियों की झालर अथवा झुब्बे टँके होते थे।				 | 
			
			
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					मुक्ताहल					 :
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					पुं० =मुक्ताफल (मोती)। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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