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शब्द का अर्थ

मूष  : पुं० [सं०√मूध् (चुराना)+क]=मूषक (चूहा)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
मूषक  : पुं० [सं० मूष+कन्] [स्त्री० मूषिका] १. चूहा। २. लाक्षणिक अर्थ में, वह जो चुरा-छिपा कर या जबरदस्ती दूसरों का धन ले लेता हो। ३. रहस्य संप्रदायों में, मन को अज्ञान के अन्धकार में चूहे की तरह विचरता है और जिसे अन्त में काल-रूपी सर्प खा जाता है।
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मूषक-कर्णी  : स्त्री० [ब० स०+ङीष्] मूसाकानी (लता)।
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मूषक-वाहन  : पुं० [ब० स०] गणेश।
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मूषण  : पुं० [सं०√मूष्+ल्यु-अन] चुरा या छीन लेना। मूसना। चुराया।
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मूषा  : स्त्री० [सं० मूष+टाप्] १. सोना आदि गलान की धरिया। तैजसावर्तिनी। २. देव-ताड़ नामक वृक्ष। ३. गोखरु का पौधा। ४. गवाक्ष। झरोखा।
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मूषा-तुत्थ  : पुं० [सं० मध्य० स०] नीला थोथा। तूतिया।
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मूषिक  : पुं० [सं०√मूष्+इकन्] १. चूहा। मूसा। २. दक्षिण भारत का एक प्राचीन जनपद।
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मूषिक-पर्णी  : स्त्री० [ब० स०+ङीष्] जल में होनेवाला एक प्रकार का तृण।
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मूषिकसाधन  : पुं० [ष० त०] तंत्र में एक प्रकार का प्रयोग या साधन जिसके सिद्ध हो जाने से मनुष्य चूहे की बोली समझकर उससे शुभ-अशुभ फल कह सकता है।
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मूषिका  : स्त्री० [सं० मूषिक+टाप्] १. छोटा चूहा। चुहिया। २. मूसाकानी लता।
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मूषिकांक  : पुं० [सं० मूषिक-अंक, ब० स०] गणेश।
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मूषिकांचन  : पुं० [सं० मूषिक√अञ्ज् (प्राप्त करना)+ल्यु-अन] गणेश।
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मूषिकाद  : पुं० [सं० मूषिक√अद् (खाना)+अण्] बिडाल। बिल्ला।
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मूषिकाराति  : पुं० [मूषिक-अराति, ष० त०] बिल्ली। बिड़ाल।
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मूषीक  : पुं० [सं०√मूष्+ईकन्] बड़ा चूहा।
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मूषीकरण  : पुं० [सं०√मूष्+च्वि, इत्व, +दीर्घ√कृ (करना)+ल्युट] धरिया में धातु गलाने की क्रिया या भाव।
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