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मेवा  : पुं० [फा० मेवः] १. खाने का फल विशेषता सूखा फल। २. आज-कल विशिष्ट रूप से किशमिश, बादाम, अखरोट आदि सुखाए हुए बढ़िया फल। ३. उत्तम और बहुमूल्य पदार्थ। ४. गुजरात में होनेवाला एक प्रकार का गन्ना। खजूरिया।
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मेवा-फरोश  : पुं० [फा] [मेव, फरोश] फल और मेवे बेचनेवाला दूकानदार।
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मेवाटी  : स्त्री० [फा० मेवा+हिं० बाटी] एक प्रकार का पकवान जिसमें किशमिश, बादाम आदि भी भरे हुए होते हैं
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मेवाड़  : पुं० [देश] १. आधुनिक राजस्थान का एक प्रसिद्ध भू-भाग जो मध्य काल में एक स्वतंत्र राज्य था। महाराणा प्रताप यहीं का राजा था। २. एक राग जो मालकोस राग का पुत्र माना गया है।
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मेवाड़-केसरी  : पुं० [हिं०] महाराणा प्रताप।
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मेवाड़ी  : वि० [हिं० मेवाड़] १. मेवाड़ प्रदेश से सम्बन्ध रखनेवाला। मेवाड़ का। २. मेवाड़ में रहने या होनेवाला। पुं० मेवाड़ का निवासी। स्त्री० मेवाड़ की बोली।
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मेवात  : पुं० [सं०] राजस्थान और सिंध के बीच के प्रदेश का पुराना नाम।
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मेवाती  : पुं० [हि० मेवात+ई (प्रत्यय)] मेवात का रहनेवाला। वि० मेवात का। स्त्री० मेवात प्रदेश की बोली।
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मेवासा  : पुं० =मवास (दुर्ग)। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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मेवासी  : वि० [हिं० मवासा] १. दुर्ग में होनेवाला या रहनेवाला। २. फलतः सुरक्षित। पुं० दुर्ग का अधिकारी या स्वामी।
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