शब्द का अर्थ
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					लाद					 :
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					स्त्री० [हिं० लादना] १. लादने की क्रिया या भाव। लदाई। पद—लाद-फाँद। २. मिट्टी का वह ढोंका जो पानी निकालने की ढेंकी के दूसरे सिरे पर लगा रहता है। स्त्री० [?] १. उदर। पेट। मुहावरा—लाद निकलना=पेट का फूल कर आगे निकलना। तोंद निकलना। २. अंतड़ी। आँत।				 | 
			
			
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					लाद-फाँद					 :
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					स्त्री० [हिं० लादना+फाँदना] चीज लादने और बाँधने की क्रिया या भाव।				 | 
			
			
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					लादना					 :
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					स० [सं० लब्ध, प्रा० लाद्ध=प्राप्त+ना (प्रत्यय)] १. किसी आदमी, जानवर या चीज पर बहुत सी वस्तुएँ ढेर या भार के रूप में रखना। जैसे—गाड़ी या बैल पर माल लादना। २. किसी पर उसकी इच्छा के विरुद्ध अथवा बलपूर्वक किसी प्रकार का दायित्व या भार रखना। ३. किसी पर आवश्यक या उचित से अधिक दायित्व या भार रखना। जैसे—उसने सारा काम मुझ पर लाद दिया है। संयो० क्रि०—देना। ४. कुश्ती लड़ते समय विपक्षी को अपनी पीठ पर उठा लेना। (पहल०) संयो० क्रि०—लेना।				 | 
			
			
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					लादिय					 :
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					पुं० [हिं० लादना+इया (प्रत्यय)] वह जो गाड़ी, पशु आदि पर बोझ लादकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाता हो।				 | 
			
			
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					लादी					 :
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					स्त्री० [हिं० लादना] १. पशु पर लादा जानेवाला बोझ। २. कपड़ों की वह गठरी जो धोबी गधे पर लादता है। क्रि० प्र०—लादना। ३. बहुत बड़ी गठरी।				 | 
			
			
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