शब्द का अर्थ
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					लू					 :
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					स्त्री० [सं० लूक, हिं० लौ] ग्रीष्म ऋतु में चलनेवाली बहुत गरम हवा। क्रि० वि०—मारना।—लगना २. उक्त का वह कुप्रभाव जिसमें व्यक्ति ज्वर से पीड़ित होता तथा जलन से छटपटाने या तड़पने लगता है।				 | 
			
			
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					लूक					 :
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					स्त्री० [सं० लुक=जलन] १. अग्नि की ज्वाला। आग की लपट। २. जलती हुई लकड़ी। लुत्ती। ३. दे० ‘लू’। स्त्री० [सं० उल्का] आकाश से छूटकर गिरनेवाला तारा।				 | 
			
			
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					लूकना					 :
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					स० [हिं० लूक+ना (प्रत्यय)] आग लगना। जलाना। अ०=लुकना (छिपना)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					लूका					 :
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					पुं० [सं० लुक=जलना] [स्त्री० अल्पा० लूकी] १. आग की लौ या लपट। २. लुआठी। लूती। मुहावरा—(किसी के मुँह में) लूका लगाना=तुच्छ समझकर दूर हटाना। मुँह फूँकना। (स्त्रियों की गाली)				 | 
			
			
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					लूकी					 :
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					स्त्री० [हिं० लूका] १. आग की चिनगारी। स्फुलिंग। २. दे० ‘लूका’।				 | 
			
			
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					लूक्ष					 :
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					वि० =रूक्ष (रूखा)।				 | 
			
			
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					लूखा					 :
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					वि० [स्त्री० लूखी]=रूखा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					लूगड़					 :
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					पुं० [हिं० लूगा] १. वस्त्र। कपड़ा। २. चादर।				 | 
			
			
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					लूगा					 :
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					पुं० [सं० लत्तक] १. कपड़ा। वस्त्र। २. विशेषतः फटा-पुराना कपड़ा। ३. धोती।				 | 
			
			
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					लूघा					 :
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					पुं० [देश] वह व्यक्ति जो ठगों के साथ रहकर उन लोगों की लाशें गाड़ने के लिए गड्ढे खोदता था, जिन्हें ठग लोग मार डालते थे।				 | 
			
			
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					लूट					 :
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					स्त्री० [हिं० लूटना] १. लूटने की क्रिया या भाव। २. किसी को डरा-धमका कर या मार-पीटकर जबरदस्ती उसकी चीजें छीन लेना। पद—लूट-खसोट, लूट-पाट, लूट-मार (दे०) ३. आज-कल किसी की विवशता से लाभ उठाकर अनुचित रूप से अपना आर्थिक लाभ करना। जैसे—यहाँ के दुकानदारों ने तो लूट मचा रखी है। क्रि० प्र०—पड़ना।—मचना।—मचाना। ४. किसी को लूटने से मिलनेवाला धन या संपत्ति।				 | 
			
			
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					लूट-खसोट					 :
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					स्त्री० [हिं०] बहुत से लोगों का किसी की चीज़ें लूट या छीन लेना। क्रि० प्र०—मचना।				 | 
			
			
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					लूटक					 :
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					पुं० =लुटेरा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					लूटना					 :
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					स० [सं० लुट=लूटना] १. बलात् अथवा डरा-धमका कर किसी की धन संपत्ति उससे ले लेना या छीन लेना। जैसे—लुटेरों ने राह चलते मुसाफिरों को लूट लिया। २. किसी के घर, मकान दूकान आदि में अनाधिकार प्रवेश कर उसमें रखा हुआ सामान उठा ले जाना। जैसे—उपद्रवियों का सारा बाजार लूटना। ३. फेंकी लुटाई अथवा किसी के अधिकार या बंधन से निकली हुई वस्तु को हस्तगत करना। जैसे—(क) गुड्डी या पतंग उड़ाना। (ख) पैसे लूटना। ४. अन्याय या धोखे से किसी का धन अपहरण करना। जैसे—नौकर-चाकरों का नवाब साहब को लूटना। ५. उचित से बहुत अधिक मूल्य लेना। अधिक दाम लेकर बेचना। जैसे—आज-कल के दुकानदार ग्राहकों को खूब लूटते हैं। ६. किसी रूप में किसी का सब कुछ या बहुत कुछ मनमाने ढंग से लूट से ले लेना। जैसे—मजा लूटना। ७. किसी को अपने प्रति मोहित या लुब्ध करना, अथवा इस प्रकार अपना बनाना कि वह वशीभूत हो जाय।				 | 
			
			
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					लूटा					 :
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					पुं० =लुटेरा (उदाहरण—लोभी लौंद़ मुकरवा झगरू बड़ा पढैलो लूटा।—सूर।				 | 
			
			
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					लूटि					 :
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					स्त्री० =लूट। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					लूण					 :
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					पुं० [सं० लवण] नमक।				 | 
			
			
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					लूत					 :
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					पुं० [इबरानी] यहूदियों के एक पैगम्बर।				 | 
			
			
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					लूता					 :
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					स्त्री० [सं०√लू (छेदन)+तन्+टाप्] १. मकड़ी। २. मकड़ी के स्पर्श के विष के कारण शरीर में पड़नेवाले फफोले। मकड़ी का रोग। वृक्का। च्यूँटी। पुं० =लूका। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					लूतामय					 :
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					पुं० [सं०√लूता+मयट्] मकड़ी नामक रोग।				 | 
			
			
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					लूती					 :
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					पुं० [अ०] वह जो अस्वाभाविक रूप से मैथुन करे। बालकों के साथ संभोग करनेवाला। लौडेबाज। पुं०=लूता।				 | 
			
			
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					लून					 :
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					वि० [सं०√लू (छेदन)+क्त, त-न] कटा हुआ। छिन जैसे—लून-पक्ष=जिसके पर कटें हों। पुं० =नोन (नमक)। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					लूनक					 :
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					पुं० [हि० लोन] १. सज्जी खार। २. अमलोनी का साग।				 | 
			
			
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					लूनना					 :
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					स०=लुनना (लुनाई करना)।				 | 
			
			
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					लूबरर					 :
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					स्त्री० =लोमड़ी। वि० =लूमर। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					लूँबरी					 :
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					स्त्री० =लोमड़ी।				 | 
			
			
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					लूम					 :
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					पुं० [सं०√छू (छेदन)+मक्] १. लांगूल। पूँछ। दुम। २. चक्कर। फेरा। उदाहरण—आता लूम लेता हुआ पूर्ण घट नीचे से।—मैथिलीशरण गुप्त। २. सम्पूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। पुं० [?] कला-बत्तू की लच्छी। पुं० [अं०] कपड़ा बुनने का करघा।				 | 
			
			
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					लूम-विष					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] ऐसे जन्तु जिनकी दुम या पूँछ में विष हों। जैसे—बिच्छू।				 | 
			
			
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					लूमड़ी					 :
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					स्त्री० =लोमड़ी।				 | 
			
			
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					लूमना					 :
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					अ० [सं० लूम] १. लरकाना। झूलना। २. लहरना। ३. (बादलों का) घिरना। ४. चक्कर खाना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					लूमर					 :
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					वि० [देश] अवस्था में बड़ा। वयस्क। जैसे—इतने बड़े लूमर हुए पर बात करने का शऊर न आया।				 | 
			
			
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					लूर					 :
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					पुं० [?] कोई काम ठीक तरह से करने का ढंग। शऊर। जैसे—तुम्हें तो किसी बात का लूर नहीं है।				 | 
			
			
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					लूरना					 :
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					अ०=लुरना। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					लूला					 :
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					वि० [सं० लून=कटा हुआ] [स्त्री० लूनी] १. जिसका हाथ कट गया हो या बेकाम हो गया हो। बिना हाथ का। लुंजा। टुंडा। २. जो कुछ भी करने में असमर्थ हो।				 | 
			
			
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					लूलू					 :
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					वि० [देश] परम मूर्ख। निरा बेवकूफ। मुहावरा—(किसी को) लूलू बनाना=किसी को बेवकूफ बनाकर उसका उपहास करना। पुं० बच्चों को डराने के लिए ‘जूजू’ ‘हौआ’ आदि की तरह के एक कल्पित विकट जीव की संज्ञा।				 | 
			
			
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					लूसना					 :
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					स० [?] मटिया-मेट करना। चौका लगाना। उदाहरण—सब ग्रंथनि वे पढै जो सो सब लूस।—रत्नाकर। स०=लूटना। अ० दे० ‘ललचाना’ (पश्चिम)।				 | 
			
			
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					लूह					 :
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					स्त्री० =लू।				 | 
			
			
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					लूहर					 :
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					स्त्री० =लू।				 | 
			
			
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