शब्द का अर्थ
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					लौंग					 :
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					पुं० [सं० लवंग] १. एक प्रकार का वृक्ष जो दक्षिणी भारत, जावा, मलाया आदि में अधिकता से होता है। २. उक्त वृक्ष की कली जो खिलने से पहले ही तोड़कर सुखा ली जाती है और मसालों तथा दवाओं में सुगन्धि तथा गुण के लिए मिलाकर काम में लाई जाती है। ३. उक्त कली के आकार-प्रकार का आभूषण जो नाक तथा कान में पहना जाता है।				 | 
			
			
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					लौंग-चिंड़ा					 :
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					पुं० [सं० लौंग+चिड़ा=चिड़िया] एक प्रकार का कवाब जो बेसन में मिलाकर बनाया जाता है। २. आग पर सेंककर फुलाई हुई रोटी। फुलका।				 | 
			
			
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					लौंग-मुश्क					 :
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					पुं० [हिं० लौंग+मुश्क] एक प्रकार का पौधा और उसका फूल।				 | 
			
			
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					लौंग-लता					 :
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					स्त्री० [सं० लवंग-लता] समोसे के आकार की मैदे की एक तरह की मिठाई जिसमें खोआ भरा रहता तथा ऊपर से लौंग भी खोंसा जाता है।				 | 
			
			
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					लौंगरा					 :
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					पुं० [हिं० लौंग] एक तरह का साग जिसमें लौंग की तरह की कलियाँ लगती है।				 | 
			
			
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					लौंगिया					 :
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					वि० [हिं० लौंग] १. लौंग की तरह का छोटा पतला और लंबा। जैसे—लौंगिया फूल, लौंगिया मिर्च। २. लौंग (कली) के रंग का। पुं० कुछ मटमैलापन लिये हुए एक प्रकार का काला रंग। (क्लोव)				 | 
			
			
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					लौंगिया-मिर्च					 :
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					स्त्री० [हिं० लौंग+मिर्च] एक प्रकार की बहुत कड़वी मिर्च जिसका पौधा बहुत बड़ा और फल लौंग के आकार के छोटे-छोटे होते हैं। मिरची।				 | 
			
			
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