शब्द का अर्थ
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वर्ह :
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पुं० [सं० √वर्ह् (दीप्ति करना)+अच्] १. मोर का पंख। ग्रंथिपर्णी। गणिवन। ३. वृक्ष का पत्ता। |
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वर्हण :
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पुं० [सं०√वृह् (बढ़ना) अथवा√वर्ह्+ल्युट्-अन] पत्र। पत्ता। |
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वर्हि (स्) :
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पुं० [सं०√वृहं+इसुन्,निं०न-लोप] १. अग्नि। २. चमक। दीप्ति। ३. यज्ञ। ४. कुश। ५. चीते का पेड़। |
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वर्हि-ध्वज :
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पुं० [सं० ब० स०] स्कंद। कार्तिकेय। |
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वर्हिमुख :
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पुं० [सं० ब० स०] १. अग्नि। २. एक देवता। |
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वर्हिषद् :
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पुं० [सं० वर्हिस्√अद् (खाना)+क्विप्] पितरों का एक गण। |
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वर्ही (र्हिन्) :
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पुं० [सं० वर्ह+इनि] १. मयूर। मोर। २. कश्यप के एक पुत्र। ३. तगर। |
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