शब्द का अर्थ
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					शह					 :
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					पुं० [फा० शाह का संक्षिप्त रूप] १. बहुत बड़ा राजा। बादशाह। २. दूल्हा। वर। वि० बड़ा और श्रेष्ठ। स्त्री० [फा०] १. शतरंज के खेल में कोई मोहरा किसी ऐसे स्थान पर रखना जहाँ से बादशाह उसकी घात में पड़ता हो। क्रि० प्र०—खाना।—देना।—लगाना। २. गुप्त रूप से किसी को भड़काने या उभारने की क्रिया या भाव। जैसे—ये तुम्हारी शह पाकर ही तो इतना उछलते हैं। क्रि० प्र०—देना। ३. गुड्डी, पतंग या कनकौवे आदि को धीरे-धीरे डोर ढीली करते हुए आगे बढ़ाने की क्रिया या भाव। क्रि०—प्र०—देना।				 | 
			
			
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					शह-सवार					 :
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					वि० [फा०] कुशल घुड़सवार।				 | 
			
			
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					शहचाल					 :
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					स्त्री० [फा० शह+हि० चाल] शतरंज में बादशाह की वह चाल जो बाकी सब मोहरों के मारे जाने पर चली जाती है।				 | 
			
			
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					शहजादा					 :
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					पुं० [फा० शाहजादः] [स्त्री० शहजादी] १. शाह का बेटा। राजपुत्र। २. युवराज।				 | 
			
			
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					शहजादी					 :
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					स्त्री० [फा० शहजादी] १. राजकुमारी। २. युवराज्ञी।				 | 
			
			
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					शहजोर					 :
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					वि० [फा०] [भाव० शहजोरी] बलवान। ताकतवर।				 | 
			
			
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					शहजोरी					 :
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					स्त्री० [फा०] १. शहजोर होने की अवस्था या भाव। २. बलप्रयोग। जबरदस्ती।				 | 
			
			
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					शहत					 :
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					पुं०=शहद।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					शहतीर					 :
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					पुं० [फा०] लकड़ी का चीरा हुआ बहुत बड़ा और लंबा लट्ठा जो प्रायः छत छाने के काम आता है।				 | 
			
			
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					शहतूत					 :
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					पुं० [फा०] १. तूत का पेड़ और उसका फल। २. उक्त वृक्ष की मीठी फली।				 | 
			
			
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					शहद					 :
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					पुं० [अं०] एक बहुत प्रसिद्ध मीठा, गाढ़ा और परम स्वादिष्ट तरल पदार्थ जो कई प्रकार के कीड़े विशेषतः मधुमक्खियाँ अनेक प्रकार के फूलों के मकरन्द से संग्रह करके अपने छत्तों में रखती है। मधु। विशेष—यह प्रायः सभी प्रकार के रोगों में गुणकारी माना जाता और सभी अवस्थाओं के प्राणियों के लिए लाभ-दायक माना जाता है। पद-शहद की छुरी=मीठी छुरी (देखें)। मुहावरा—शहद लगाकर अलग होना=उपद्रव का सूत्रपात करके अलग होना। आग लगाकर दूर होना। शहद लगाकर चाटना=किसी निरर्थक पदार्थ को यों ही लिए रहना और उसका कुछ भी उपयोग न कर सकना (व्यंग्य) जैसे—आप अपनी पुस्तक शहद लगाकर चाटिये, मुझे उससे कहीं अच्छी पुस्तक मिल गई है। वि० अत्यधिक मीठा।				 | 
			
			
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					शहनगी					 :
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					पुं० [अं० शहनः] १. शहना होने की अवस्था या भाव। २. शस्य-रक्षक का काम। ३. वह धन जो चौकीदार को देने के लिए असामियों से वसूल किया जाता है।				 | 
			
			
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					शहनशीन					 :
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					पुं० [फा०] बहुत बड़े आदमियों के बैठने के लिए सबसे ऊँचा या मुख्य आसन।				 | 
			
			
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					शहना					 :
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					पुं० [अ० शहनः] १. खेत की चौकसी करनेवाला। शस्यरक्षक। २. खेतिहरों से राज-कर उगाहनेवाला अधिकारी। उदाहरण—राज्य का शहरा आया, आठवाँ अंश ले गया।—वृन्दावनलाल वर्मा। ३. वह व्यक्ति जो जमींदार की ओर से असामियों को बिना कर दिए, खेत की उपज उठाने से रोकने और उसकी रक्षा के लिए नियुक्त किया जाता है। ४. नगर का कोतवाल।				 | 
			
			
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					शहनाई					 :
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					स्त्री० [फा०] १. बाँसुरी या अलगोजे के आकार का, पर उससे कुछ बड़ा मुँह से फूँककर बजाया जानेवाला एक प्रकार का बाजा जो प्रायः रोशन-चौकी के साथ बजाया जाता है। नफीरी। २. रोशनचौकी।				 | 
			
			
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					शहबाज					 :
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					पुं० [फा०] एक प्रकार का बड़ा बाज पक्षी।				 | 
			
			
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					शहबाला					 :
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					पुं० [फा०] वह छोटा बालक जो विवाह के समय दूल्हे के साथ पालकी पर अथवा उसके पीछे घोड़े पर बैठकर वधू के घर जाता है।				 | 
			
			
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					शहबुलबुल					 :
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					स्त्री० [फा०] एक प्रकार की बुलबुल जिसका सारा शरीर लाल कंठ काला और सिर पर सुनहले रंग की चोटी होती है।				 | 
			
			
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					शहमात					 :
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					स्त्री० [फा०] शतरंज के खेल में ऐसी मात जिसमें बादशाह को केवल शह या किस्त देकर इस प्रकार मात किया जाता है कि बादशाह के चलने के लिए कोई घर ही नहीं रह जाता।				 | 
			
			
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					शहर					 :
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					पुं० [फा० शह्र] मनुष्यों की बस्ती जो कस्बे से बहुत बड़ी हो, जहाँ हर तरह के लोग रहते हों और जिसमें अधिकर बड़े पक्के मकान हों। नगर।				 | 
			
			
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					शहर-पनाह					 :
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					स्त्री० [फा०] वह दीवार जो किसी नगर की रक्षा के लिए उसके चारों ओर बनाई जाय। शहर की चार-दीवारी। प्राचीर। नगरकोटा।				 | 
			
			
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					शहरी					 :
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					वि० [फा०] १. शहर से संबंध रखनेवाला। शहर का। २. शहर का निवासी। नागरिक। ३. शहरियों का सा।				 | 
			
			
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					शहवत					 :
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					स्त्री० [अ०] १. इच्छा, विशेषतः भोग-विलास की इच्छा। २. स्त्री-संभोग के लिए होनेवाली इच्छा। काम-वासना। ३. स्त्री-संभोग। मैथुन।				 | 
			
			
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					शहवत परस्त					 :
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					वि० [अ+फा०] जिसमें भोग-विलास या स्त्री-संभोग की प्रबल शक्ति हो।				 | 
			
			
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					शहंशाह					 :
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					पुं० [फा०] १. राजाओं का राजा। सम्राट। २. चक्रवर्ती राजा।				 | 
			
			
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					शहंशाही					 :
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					वि० [फा०] १. शहंशाहों में होनेवाला। २. शहंशाह द्वारा किया हुआ। ३. शाहों का सा। शाही। राजसी। जैसे—शंहशाही ठाट-बाट। स्त्री० १. शहशाह होने की अवस्था, गुण, धर्म या भाव। २. शहंशाह का पद। ३. लेन-देन का खरापन।				 | 
			
			
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					शहादत					 :
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					स्त्री० [अ०] १. शहीद होने की अवस्था या भाव विशेषतः जहाद में लड़ते हुए प्राण देना। २. वध। ३. गवाही। ४. प्रमाण।				 | 
			
			
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					शहाना					 :
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					वि० [फा० शहाना] [स्त्री० शाहानी] १. शाहों का। २. शाहों में होनेवाला। ३. शाहों जैसा। राजसी। ४. उत्तम। बढ़िया। पुं० १. कपड़ों का वह जोड़ा जो विवाह के समय वर को पहनाया जाता है। २. मुसलमानों में विवाह के समय गाया जानेवाला एक प्रकार का लोक-गीत। पुं० [देश या फा० शाही से] सम्पूर्ण जाति का एक राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं।				 | 
			
			
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					शहाना कान्हड़ा					 :
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					पुं० [हिं० शहाना+कान्हड़ा] संपूर्ण जाति का एक प्रकार का कान्हड़ा राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं।				 | 
			
			
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					शहाब					 :
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					पुं० [फा०] [वि० शहाबी] गहरा लाल रंग। विशेषतः कुसुम से तैयार किया जानेवाला गहरा लाल रंग।				 | 
			
			
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					शहाबा					 :
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					पुं० दे० ‘अगिया बैताल’।				 | 
			
			
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					शहाबी					 :
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					वि० [फा०] शहाब के रंग का। गहरा लाल। पुं० उक्त प्रकार का रंग।				 | 
			
			
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					शहीद					 :
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					वि० [अ०] १. अपने धर्म, सदाचार या कर्तव्य-पराणयता की रक्षा के लिए निमित्त अपने प्राण देनेवाला। जैसे—शहीद हकीकत राय। २. आज-कल (वह व्यक्ति) जो स्वतन्त्रता की रक्षा अथवा उसकी प्राप्ति के लिए अपनी जान गँवाता हो। जैसे—शहीद भगत सिंह।				 | 
			
			
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					शहीदी					 :
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					वि० [अ० शहीद] १. शहीद संबंधी। २. जो शहीद होने के लिए तैयार हो। जैसे—शहीदी जत्था। ३. लाल रंग।				 | 
			
			
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