शब्द का अर्थ
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संभोग :
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पुं० [सं०] १. किसी वस्तु का भली-भाँति किया जाने वाला पूरा उपयोग। २. स्त्री और पुरुष का मैथुन। रति-क्रीड़ा। ३. हाथी के कुम्भ का मस्तक का एक विशिष्ट भाग। ४. साहित्य ऋंगार का वह अंश जो संयोग ऋंगार कहलाता है (दे०‘ऋंगार’)। |
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समानार्थी शब्द-
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संभोग-ऋंगार :
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पुं०=संयोग-ऋंगार। |
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संभोग-काय :
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पुं० [सं०] बौद्धों के अनुसार वह शरीर जिसमें आकर इस संसार के सुख-दुःख आदि भोगे जाते हैं। |
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संभोगी (गिन्) :
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वि० [सं० संभोग+इनि] [स्त्री० संभोगिनी] १. संभोग करनो वाला। व्यवहार करके सुख भोगने वाला। पुं० १. विलासी व्यक्ति। ? कामुक व्यक्ति। |
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संभोग्य :
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वि० [सं० सम्√भुज् (भोग करना)+ण्यत्] १. जिसका भोग व्यवहार होने को हो। जो काम में लाया जाने को हो। २. जिसका भोग या व्यवहार हो सकता हो। |
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