शब्द का अर्थ
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					संश्रय					 :
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					पुं० [सम्√श्रि (सेवा करना)+अच्] [भू० कृ० संश्रित] १. संयोग। मेल। २. आजकल कुछ विशिष्ट प्रकार के दलों ,शक्तियों आदि का किसी उद्देश्य की सिद्धि के लिए आपस में मेल या मैत्री स्थापित करना। (एलायन्स) ३. लगाव। संपर्क। ४. आश्रय। शरण। ५. अवलम्ब। सहारा। ६. आश्रय या शरण लेने की जगह। ७. अंश। भाग। ८. घर। मकान। ९. उद्देश्य। लक्ष्य। १॰. अंश। भाग। ११. राजाओं में पारस्परिक और सहायता के लिए होने वाली संधि।				 | 
			
			
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					संश्रयण					 :
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					पुं० [सम्√ श्रि (सेवा करना)+ल्युट्-अन] [वि०संश्रयणीय, संक्षयी, भू० कृ० संश्रित] १. सहारा लेना। अवलम्ब पकड़ना। २. किसी के पास जाकर उसका आश्रय लेना। पनाह लेना।				 | 
			
			
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					संश्रयणीय					 :
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					वि० [सम्√श्रि (सेवा करना)+अनीयर्] १. जिसका आश्रय लिया जा सके। २. जिसे आश्रय दिया जा सके।				 | 
			
			
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					संश्रयी					 :
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					वि० [सम्√श्रि (सेवा करना)+इनि] १. संश्रय अर्थात आश्रय या सहारा लेने वाला। २. शरण लेने वाला। पुं० नौकर। भृत्य।				 | 
			
			
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