शब्द का अर्थ
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					साध्यवासना					 :
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					स्त्री० [सं०] साहित्य में, लक्षणा का वह प्रकार या भेद जिसमें स्वयं उपमान में उपमेय का अध्यवसाय या तादात्म्य किया जाता अर्थात् उपमेय को बिलकुल हटाकर केवल उपमान इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है कि उपमेय से उसका कोई अंतर या भेद नहीं रह जाता। जैसे—किसी परम मूर्ख विषय में कहना—यह तो गधा (या बैल) है। उदा०—अद्भुत् एक अनूप बाग। जुगल कमल पर गज क्रीडत है, तापर सिंह करत अनुराग।...फल पर पुहुप, पहुप पर पल्लव ता पर सुक, पिक, मृग-मद काग। इसमें केवल उपमानों का उल्लेख करके राधा के सब अंगों के सौंदर्य का वर्णन किया है।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
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