शब्द का अर्थ
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					सामर					 :
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					वि० [सं० समर+अण्] समर-सबंधी। समर का। युद्ध का। पुं०=समर (युद्ध)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सामरथ					 :
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					स्त्री०=सामर्थ्य। वि०=समर्थ।				 | 
			
			
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					सामरा					 :
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					वि०, पुं० [स्त्री० सामरी]=साँवला। उदा—तहु दुहु सुललित नतरा सामरा।—विद्यापति।				 | 
			
			
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					सामराधिप					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] सेनापति।				 | 
			
			
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					सामरिक					 :
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					वि० [सं० सभर+ठक-इक] [भाव० सामरिकता] समर संबंधी। युद्ध का। जैसे—सामरिक लज्जा।				 | 
			
			
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					सामरिकता					 :
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					स्त्री० [सं० सामरिक+तल-टाप्] १. सामरिक होने की अवस्था, गुण या भाव। (मिलिटरिज्म) २. युद्ध। लड़ाई। समर।				 | 
			
			
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					सामरिकवाद					 :
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					पुं० [सं० कर्म० स०] यह मत या सिद्धांत कि राष्ट्र को सदा सैनिक दृष्टि से शसक्त रहना चाहिए। और अपने हितों की रक्षा युद्ध या समर की सहायता से करना चाहिए। (मिलिटरिज़्म)				 | 
			
			
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					सामरेय					 :
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					वि० [सं० समर+ढक्-एथ] समर-संबंधिक। सामरिक।				 | 
			
			
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					सामर्थ					 :
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					पुं० दे० सामर्थ्य।				 | 
			
			
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					सामर्थी					 :
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					वि० [सं० सामर्थ्य+इ (प्रत्य०)] १. सामर्थ्य रखने वाला। जिसमें सामर्थ्य हो। २. कोई कार्य करने में समर्थ। ३. ताकतवर। बलवान्।				 | 
			
			
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					सामर्थ्य					 :
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					पुं० [सं०] १. समर्थ होने की अवस्था या भाव। २. कोई कार्य संपादित करने की योग्यता और शक्ति। (कैपेलिटी) ३. साहित्य में, शब्द की व्यंजन शक्ति। शब्द की वह शक्ति जिससे वह भाव प्रकट करता है। ४. व्याकरण में शब्दों का पारस्परिक संबंध। (भूल से स्त्री में प्रयुक्त)।				 | 
			
			
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