शब्द का अर्थ
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					सीर					 :
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					पुं० [सं०] १. हल। २. जोता जाने वाला बैल। ३. सूर्य। ४. आक। मदार। स्त्री० १. वह जमीन जिसे भूस्वामी या जमींदार स्वयं जोतता या अपनी ओर से किसी दूसरे से जोतवाता आ रहा हो, अर्थात जिस पर उसकी निज की खेती होती हो। २. हिस्सेदारी। साझेदारी। स्त्री० [सं० शिरा] रक्तवाहिनी नाड़ी। नस। मुहा०—सीर खुलवाना=नस्तर से शरीर का दूषित रक्त निकलवाना। पुं० [?] १. चौंपायों का एक संक्रामक रोग। २. पानी का ऐसा बहाव जो किनारे की जमीन काटता हो। (लश०) वि०=सियरा (ठंढ़ा)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सीर-धर					 :
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					वि० [सं० ष० त०] हल धारण करने वाला। पुं० बलराम का एक नाम।				 | 
			
			
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					सीर-ध्वज					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] राजा जनक का पहला और वास्तविक और पहला नाम। २. बलराम।				 | 
			
			
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					सीर-पाणि					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] बलराम का एक नाम।				 | 
			
			
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					सीर-भृत					 :
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					पुं० [सं० सीर√भृ (सुरक्षित रखना आदि)+क्विप्-तुक्] १. हल चलाने वाला अर्थात खेतिहर या हलवाहा। २. बलराम।				 | 
			
			
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					सीरक					 :
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					पुं० [सं० सीर+कन्] १. हल। २. सूर्य। ३. शिशुमार। सूँस। वि० [हिं० सीरा] ठंढ़ा या शीतल करनेवाला।				 | 
			
			
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					सीरख					 :
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					पुं०=शीर्ष।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सीरत					 :
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					स्त्री० [अं०] १. प्रकृति। स्वभाव। २. गुण। विशेषता।				 | 
			
			
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					सीरन					 :
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					पुं० [?] बच्चों का एक प्रकार का पहनावा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सीरनी					 :
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					स्त्री० [फा० शीरीनी] मिठाई। (दे०‘सिरनी’)				 | 
			
			
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					सीरम					 :
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					पुं० [अं०] कुछ विशिष्ट प्रकार के प्राणियों और मनुष्यों के शरीर के रक्त में से निकला हुआ एक तरल पदार्थ जिसमें कुछ विशिष्ट रोगों का आक्रमण रोकने की शक्ति होती है। और इसीलिए जो दूसरे प्राणियों या व्यक्तियों के शरीर में उन्हें किसी रोग से रक्षित रखने के उद्देश्य से सूई के द्वारा प्रविष्ट किया जाता है।				 | 
			
			
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					सीरवाह (क)					 :
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					पुं० [सं०] १. हल चलाने या जोतने वाला। हलवाहा। २. जमींदार की ओर से उसकी खेती का प्रबंध करनेवाला। कारिन्दा।				 | 
			
			
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					सीरष					 :
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					पुं०=शीर्ष।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सीरा					 :
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					स्त्री० [सं०] एक प्राचीन नदी। वि० [सं० शीतल० प्रा० सीअड़] [स्त्री० सीरी] १. ठंढ़ा। शीतल। २. धीर और शान्त प्रकृति वाला। पुं० [फा० शीरः] १.चीनी आदि का पकाया हुआ शीरा। २. मोहन-भोग। हलुआ। पुं०१.=सिरा (शीर्ष या सिरहाना)। २. =सिरहाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सीरायुध					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] बलराम।				 | 
			
			
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					सीरियल					 :
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					पुं० [अं०] १. वह लंबी कहानी या लेख जो कई बार और कई हिस्सों में प्रकाशित हो। २. ऐसी कहानी या लेख जो सिनेमा में उक्त प्रकार से कई भागों में विभक्त करके दिखाया जाता हो।				 | 
			
			
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					सीरी (रिन्)					 :
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					पुं० [सं०] (हल धारण करने वाला) बलराम। वि० हिं० ‘सीरा’ का स्त्री०।				 | 
			
			
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					सीरीज़					 :
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					स्त्री० [सं०] १. किसी एक क्रम में पूर्वा पर घटित होने वाली घटनाओं का समाहार या समूह। २. पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में किसी एक प्रकाशन संस्था द्वारा प्रकाशित वह पुस्तक माला जिसका विषय, मूल्य या जिल्द समान हो।				 | 
			
			
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