शब्द का अर्थ
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सोल :
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वि० [सं०] १. शीतल। ठंडा। २. कसैला, खट्टा और तिक्त या तीता। पुं० १. शीतल। ठंढक। २. स्वाद। जायका। |
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समानार्थी शब्द-
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सोलंकी :
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पुं० [देश०] क्षत्रियों का एक प्राचीन राजवंश जिसने बहुत दिनों तक गुजरात पर शासन किया था। |
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सोलपंगो :
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पुं० [हिं० सोलग+पग] केकड़। (डिं०) |
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सोलह :
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वि० [सं० षोडस, प्रा० सोलस, सोरह] जो गिनता में दस से छः अधिक हो। षोडस। पुं० उक्त संख्या का सूचक अंक जो इस प्रकार लिखा जाता है।–१६। मुहा०–सोलहो आने=कुल का कुल। सब का सब। सोलह—सोलह गड़े सुनाना=खूब गालियाँ देना। |
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सोलह-नहाँ :
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पुं० [हिं० सोलह+नहँ=नख] एक प्रकार का ऐबी हाथी जिसके १६ नाखून होते हैं। |
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सोलह-सिंगार :
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पुं० [हिं० सोलह+सिंगार] स्त्रियों के पूरा श्रंगार करने के लिए बताए हुए सोलह कार्य-अंग मे उबटन लगाना, नहाना; स्वच्छ वस्त्र धारण करना; बाल सँवारना; काजल लगाना; सिंदूर से माँग भरना; महावर लगाना; भाल पर तिलक लगाना; चिबुक पर तिल बनाना; मेंहदी लगाना; इत्र आदि सुगंधित द्रव्य लगाना; आभूषण पहनना; फूलों की माला पहनना; मिस्सी लगाना; पान खाना और होठों को लाल करना। मुहाः सोलह सिंगार सजाना=बनना-ठनना। |
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सोलहवाँ :
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वि० [हिं० सोलह+वाँ (प्रत्य०)] [स्त्री० सोलहवीं] संख्या के विचार से १६ की जगह पड़ने वाला। |
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सोलही :
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स्त्री० [हिं० सोलह+ई (प्रत्य०)] १. सोलह चित्ती कौड़ियाँ। २. उक्त कौड़ियों से खेला जाने वाला जूआ। ३. पैदावार की १६—१६ अँटियों या पूलों के रूप में होने वाली गिनती। |
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सोला :
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पुं० [?] एक प्रकार की रेशमी धोती। २. एक प्रकार का बडा झाड़ जिसकी डालियाँ बहुत मजबूत और सीधी होता हैं। विशेष–सोला हैट नामक अँगरेजी ढँग का टोप इसी की डालियों से बनता है। |
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सोलाना :
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स०=सुलाना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सोलाली :
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स्त्री० [?] पृथ्वी। (डिं०) |
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सोल्लास :
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वि० [सं०] उल्लास—युक्त। प्रसन्न। आनंदित। अव्य० उल्लास—पूर्वक। हर्ष से भर जाना। बहुत प्रसन्न होकर। |
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