शब्द का अर्थ
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					सौम					 :
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					वि० [सं०] १. सोमलता-संबंधी। २. सोम अर्थात चंद्रमा संबंधी। वि० =सौम्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सौमंगल्य					 :
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					पुं० [सं०] १. सुमंगल। कल्याण। २. मांगलिक द्रव्य या सामग्री।				 | 
			
			
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					सौमंत्रिण					 :
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					पुं० [सं०] वह जिसके अच्छे मंत्री हो।				 | 
			
			
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					सौमन					 :
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					पुं० [सं०] एक प्रकार का अस्त्र (रामायण)। २. सुमन। फूल।				 | 
			
			
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					सौमनस					 :
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					वि० [सं०] १. सुमन या फूल संबंधी। २. फूलों का बना हुआ। ३. फूल के जैसा सुंदर और कोमल। पुं० १. आनन्द। प्रसन्नता। २. अनुग्रह। कृपा। ३. पश्चिम दिशा के दिग्गज। ४. कर्म मास या सावन की आठवीं तिथी। ५. अस्त्रों को निष्फल करने का एक संहारक अस्त्र। ६. जायफल।				 | 
			
			
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					सौमनस्य					 :
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					वि० [सं०] आनन्द देने वाला। प्रसन्न करने वाला। पुं० १. प्रसन्नचित्तता। प्रसन्नता। आनन्द। २. आपस में होनेवाला सद्भाव। ३. किसी विषय की सुबोधता। ४. श्राद्ध में पुरोहित या ब्राह्मण के हाथ में फूल देना। (भागवत)				 | 
			
			
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					सौमायन					 :
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					पुं० [सं०] (सोम अर्थात चंद्रमा के पुत्र) बुध।				 | 
			
			
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					सौमिक					 :
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					वि० [सं०] १. सोम रस से किया जाने वाला (यज्ञ)। २. सोम यज्ञ संबंधी। ३. चंद्रमा संबंधी। (ल्यूनर) जैसे–सौमिक ग्रहण। पुं० १. चांद्रायण व्रत करनेवाला। २. सोंम रखने का पात्र।				 | 
			
			
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					सौमिकी					 :
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					स्त्री० [सं०] १. यज्ञ के समय सोम का रस निचोड़ने की क्रिया। २. एक प्रकार का यज्ञ जिसमें दीक्षणीयेष्टि भी करते हैं।				 | 
			
			
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					सौमित्तिका					 :
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					स्त्री० [सं०] १. पालकी, रथ आदि के ऊपर उन्हें ढकने के लिए डाला जानेवाला कपड़ा। ओहार। २. घोड़े, हाथी आदि की पीठ पर डाला जानेवाला कपड़ा। झूल।				 | 
			
			
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					सौमित्र					 :
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					वि० [सं०] सुमित्रा-संबंधी। सुमित्रा का। पुं० १. सुमित्रा के पुत्र, लक्ष्मण। २. दोस्ती। मित्रता।				 | 
			
			
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					सौमित्रा					 :
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					स्त्री०=सुमित्रा।				 | 
			
			
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					सौमित्रि					 :
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					पुं० [सं०] [वि० सौमित्रीय] सुमित्रा के पुत्र, लक्ष्मण।				 | 
			
			
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					सौमित्रीय					 :
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					वि० [सं०] लक्ष्मण संबंधी।				 | 
			
			
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					सौमिलिक					 :
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					पुं० [सं०] बौद्ध भिक्षुओं का एक प्रकार का दंड जिसमें रेशम का गुच्छा लगा रहता है।				 | 
			
			
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					सौमी					 :
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					स्त्री०=सौम्यी (चाँदनी)।				 | 
			
			
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					सौमुख्य					 :
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					पुं० [सं०] १. सुमुखता। चित्त की प्रसन्न अवस्था। २. प्रसन्नता।				 | 
			
			
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					सौमेंद्र					 :
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					वि० [सं०] सोम और इंद्र का। सोम और इंद्र—संबंधी।				 | 
			
			
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					सौमेधिक					 :
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					वि० [सं०] १. सुमेध से युक्त। २. दिव्य ज्ञान—संपन्न। जिसे दिव्य ज्ञान हो। पुं० सिद्ध पुरुष।				 | 
			
			
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					सौमेरु					 :
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					वि० [सं०] सुमेरु संबंधी। सुमेरु का।				 | 
			
			
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					सौमेरुक					 :
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					वि० पुं० [सं०] सोना। सुवर्ण। वि०=सौमेरु।				 | 
			
			
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					सौम्य					 :
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					वि० [सं० सोम+ष्यञ्] [स्त्री० सौम्या] १. सोम संबंधी। २. चंद्रमा संबंधी। ३. सोमलता संबंधी। ४. सोम नामक देवता से संबंध रखनेवाला। ५. शीतल और स्निग्ध। ६. कोमल ठंढा और रसीला। ७. कोमल, नम्र तथा शांत प्रकृतिवाला। ८. उत्तर दिशा का। ९. मांगलिक। शुभ। १॰. प्रसन्न। ११. मनोहर। सुंदर। १२. उज्वल। चमकीला। प्रकाशमान्। पुं० १. सोमयज्ञ। २. चंद्रमा के पुत्र, बुध। ३. ब्राह्मण। ४. ब्राह्मणों के पितरों का एक वर्ग। ५. एक प्रकार का कृच्छ् व्रत। ६. पुराणानुसार एक द्वीप। ७. एक प्रकार का दिव्यास्त्र। ८. साठ संवत्सरों में से एक। ९. मृगशिरा नक्षत्र। १॰. मार्गशीर्ष मास। अगहन। ११. फलित ज्योतिष में से वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर, और मीन राशियाँ जो सौम्य प्रकृतिवाली मानई गई हैं। १२. पुराणानुसार सातवें युग की संज्ञा। १३. आयुर्वेद में लाल होने से पहले रक्त की अवस्था या रूप। १४. आधुनिक विज्ञान में, रक्त का वह अंश या तत्व जिसके फलस्वरूप जीव—जंतु कुछ विशिष्ट रोगो से रक्षित रहते हैं। लस। (सीरम) दे० ‘सौम्य विज्ञान’। १५. पित्त। १६. बायाँ हाथ। १७. बाई आँख। १८. हथेली का मध्य भाग। १९. सज्जनता और सुशीलता। २॰. गूलर।				 | 
			
			
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					सौम्य-कृच्छ्					 :
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					पुं० [सं०] एक प्रकार का व्रत जिसमें पाँच दिन क्रम से खली (पिण्याक) भात, मट्ठे, जल और सत्तू पर रहकर छठे दिन उपवास करना पड़ता है।				 | 
			
			
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					सौम्य-गोल					 :
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					पुं० [सं०] उत्तरी गोलार्द्ध।				 | 
			
			
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					सौम्य-ग्रह					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] चंद्र, बुध, वृहस्पति और शुक्र ग्रहों में से हर एक। विशेष–फलित ज्योतिष में से गिनती शुभ ग्रहों में होती है।				 | 
			
			
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					सौम्य-ज्वर					 :
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					पुं० [सं०] एक प्रकार का ग्रह जिसमें कभी शरीर गरम हो जाता है और कभी ठंडा। (वैद्यक)				 | 
			
			
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					सौम्य-शिखा					 :
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					स्त्री० [सं०] छंद-शास्त्र में मुक्तक विषम वृत्त के दो भेदों में से एक जिसके पूर्व दल में १६ गुरु वर्ण और उत्तर दल में ३२ लघु वर्ण होते हैं।				 | 
			
			
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					सौम्यगंधा					 :
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					स्त्री० [सं०] सेवती।				 | 
			
			
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					सौम्यता					 :
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					स्त्री० [सं०] १. सौम्य होने की अवस्था, गुण या भाव। २. सुशीलता। ३. सुंदरता। ४. शीतलता।				 | 
			
			
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					सौम्यत्व					 :
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					पुं०=सौम्यता।				 | 
			
			
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					सौम्यदर्शन					 :
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					वि० [सं०] जो देखने मे सुंदर हो। प्रिय-दर्शन।				 | 
			
			
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					सौम्यवार					 :
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					पुं० [सं०] बुधवार।				 | 
			
			
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					सौम्यविज्ञान					 :
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					पुं० [सं०] वह विज्ञान जिसमें औषध के काम के लिए जीवों के रक्त से सौम्य बनाने का विवेचन होता है। विशेष–अनेक जीव जंतुओं के रक्त में से कुछ ऐसे तत्व होते हैं, जो उन्हे कुछ विशिष्ट रोगों से रक्षित रखते हैं। जैसे–बकरी के रक्त में क्षय रोग और कबूतर के रक्त में पक्षाघात आदि से रक्षित रखनेवाले कुछ विशिष्ट तत्व होते हैं। जो ‘सौम्य’ कहलाते हैं। सौम्यविज्ञान इसी प्रकार के तत्वों की परीक्षा करके और उसके रूप में उन्हे निकालकर क्षीण प्राणियों के शरीर में इसलिए प्रविष्ट करते हैं कि वे उन रोगों से रक्षित रहें।				 | 
			
			
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					सौम्या					 :
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					स्त्री० [सं०] १. दुर्गा का एक नाम। २. मृगशिरा नक्षत्र। ३. मोती। ४. आर्या छंद का एक भेद। ५. ब्राह्मी। ६. बड़ी इंद्रायन। ७. रुद्रजटा। ८. बड़ी मालकंगनी। ९. पाताल गारुड़ी। १॰ .धुँधची। ११. कचूर। १२. मोतिया। १३. शालिपर्णी। सरिवन।				 | 
			
			
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					सौम्यी					 :
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					स्त्री० [सं०] चाँदनी। चंद्रिका।				 | 
			
			
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