शब्द का अर्थ
|
स्थापन :
|
पुं० [सं०] [वि० स्थापनीय, भू० कृ० स्थापित, कर्ता० स्थापक] १. उठाना या खड़ा करना। २. दृढ़तापूर्वक जमाना, रखता या बैठाना। जैसे–वृक्ष या देवता का स्थापन। ३. दृढ़ या पुष्ट आधार पर स्थिर करना। स्थायी रूप देना। ४. कोई नई संस्था या व्यापारिक कार-बार खड़ा करना। (एस्टैब्लिशमेंन्ट) ५. किसी को किसी पद पर काम करने के लिए लगाना या नियत करना। (पोस्टिंग) ६. कोई मत या विचार इस प्रकार युक्तिपूर्वक लोगो के सामने रखना कि वह ठीक या प्रामाणिक जान पड़े। प्रतिपादन। ७. (शरीर का) रक्षा या आयुवृद्धि का उपाय। ८. रक्त-स्त्राव रोकने का उपाय। ९. समाधि। १॰. प्रसवन। ११. रहने की जगह। घर। मकान। १२. अनाज का ढेर। १३. दे० ‘स्थापना’। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
स्थापना :
|
स्त्री० [सं०] १. स्थापित करने की क्रिया या भाव। स्थापना। २. तर्क, प्रमाण, युक्ति आदि के द्वारा अपना पक्ष या मत ठीक सिद्ध करते हुए दूसरों के सामने रखना। अपना पक्ष स्थापित करना। निरूपण। प्रतिपादन। (एस्टैब्लिशमेंट) ३. इकट्ठा या जमा करना। ४. भारतीय नाट्य-शास्त्र के पूर्वरंग में सूत्र धार के द्वारा मंगलाचरण हो चुकने पर स्थापक नामक नट के द्वारा इस बात का सूचित किया जाना कि नाटक की कथावस्तु और उसका काव्यार्थ क्या है। ५. जैन धर्म में किसी मूर्ति में देवता, व्यक्ति आदि का आरेप करना। स० ठीक तरह से जमाना, बैठाना या रखना। स्थापित करना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
स्थापनिक :
|
वि० [सं०] १. स्थापन संबंधी। स्थापन का। २. एकत्र या जमा किया हुआ। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
स्थापनीय :
|
वि० [सं०] स्थापित किये जाने योग्य। जिसका स्थापन हो सके या होने को हो। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |