शब्द का अर्थ
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					स्रव					 :
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					पुं० [सं०] १. बहाव। प्रवाह। २. झरना। क्षरण। ३. पेशाब। मूत्र। पुं० दे० श्रवण।				 | 
			
			
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					स्रवण					 :
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					पुं० [सं०] [वि० स्रवणीय] १. बहने की क्रिया या भाव। बहाव। प्रवाह। २. गर्भ का समय से पहले गिरना। गर्भपात। ३. स्तन जिससे दूध निकलता है। छाती (क्व.)। उदाहरण–बिनु स्रवणा खीर पिला उआ।–कबीर। ४. पसीना।। ५. मूत्र। पेशाब।				 | 
			
			
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					स्रवण-क्षेत्र					 :
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					पुं० [सं०] वह सारा क्षेत्र जहाँ का वर्षा-जल एकत्र होकर किसी नदी के मूल का रूप धारण करता हो। अपवाह–क्षेत्र। जाली। (कैचमेन्ट एरिया)।				 | 
			
			
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					स्रवंती					 :
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					स्त्री० [सं०] १. नदी। २. एक प्रकार की वनस्पति।				 | 
			
			
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					स्रवद्गर्भा					 :
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					वि० [सं०] (स्त्री या मादा पशु) जिसका गर्भ गिर गया हो।				 | 
			
			
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					स्रवन					 :
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					पुं० १. =स्रवण। २. =श्रवण।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					स्रवना					 :
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					अ० [सं० स्रवण] १. बहना। चूना। टपकना। २. गिरना। उदाहरण–अति गर्व गनई न सगुन असगुन स्रवहिं आयुध हाथ तें।–तुलसी। स०१. बहाना। २. गिराना। उदाहरण–चलत दशानन डोलति अवनी। गर्जत गर्भ स्रवहिं सुररवनी।–तुलसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					स्रवा					 :
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					स्त्री० [सं०] १. मरोड़फली। मूर्वा। २. जीवंती। डोडी।				 | 
			
			
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