शब्द का अर्थ
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स्वगत :
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अव्य. [सं०] आप ही आप। स्वतः। वि० १. अपने में ग्रहण किया हुआ। २. मन में आया हुआ। पुं० स्वगत कथन (दे०) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
स्वगत–कथन :
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पुं० [सं०] १. मन में आई हुई बात। २. मन में आई हुई बात कहना। ३. भारतीय नाटकों में तीन प्रकार के संवादों में से एक,जिसमें अभिनेता कोई बात ऐसे ढंग से कहता है कि मानो दूसरे अभिनेता या पात्र उसकी बात सुन ही न रहे हो और वह मन ही मन कुछ कह अथवा सोच-समझ रहा हो। इसे अक्षाव्य भी कहते हैं। (सोलिलोक्वी)। विशेष–इस प्रकार वह मानों दर्शकों पर अपने मनोभाव प्रकट कर देता है। आधुनिक नाटकों में इस प्रकार का कथन या संवाद अच्छा नहीं माना जाता। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |