शब्द का अर्थ
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					स्वर-भंग					 :
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					पुं० [सं०] १. उच्वारण में होनेवाली बाधा या अस्पष्टता। २. आवाज या गला बैठना, जो एक रोग माना गया है। ३. साहित्य में हर्ष, भय, क्रोध, मद आदि से गला भर आना अथवा जो कुछ कहना हो उसके बदले मुख से और कुछ निकल जाना, जो एक सात्त्विक अनुभाव माना गया है।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
					
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					स्वर-भंगी (गिन्)					 :
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					पुं० [सं०] १. वह जिसे स्वरभंग रोग हुआ हो। २. वह जिसका गला बैठ गया हो और मुँह से साफ आवाज न निकलती हो। ३. एक प्रकार का पक्षी।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
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