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शब्द का अर्थ
स्वागता :
स्त्री० [सं०] चार चारणों का एक समवृत्त वर्णिक छन्द, जिसके प्रत्येक चरण में क्रम से रगण, नगण, भगण, और दो गुरु होते हैं। यथा–राज-राजा दशरत्थ तनैजू। रामचन्द्र भव-इन्द्र बने जू।–केशव।
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